पृथ्वी के मानव को जल और भोजन प्रदान करने में आर्द्र भूमियों की भूमिका महत्वपूर्ण है इसलिए ही मानवता और ग्रह के लिए आर्द्र भूमि के प्रति वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रत्येक वर्ष 2 फरवरी को आर्द्र भूमि दिवस मनाया जाता है।
सभ्यताओं के पालनहार
दुनिया की तमाम बड़ी सभ्यताएं जलीय स्रोतों के निकट रहती आई हैं। वेटलैंड आज भी हमें भोजन प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वेटलैंड्स के नजदीक रहने वाले लोगों का जीवन बहुत हद तक प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इन पर ही निर्भर होता है। यूनेस्को के अनुसार वेटलैंड्स दुनिया की 40 प्रतिशत वनस्पतियां और वन्यजीवों को प्रभावित करता है जो आर्द्र भूमियों में निवास या प्रजनन करते हैं। भूमि आधारित कार्बन का 30% पीटलैंड में संग्रहित है। लगभग एक अरब लोग अपनी जीविका के लिए वेटलैंड्स पर निर्भर हैं। आर्द्र भूमियां आवश्यक सेवाओं में हर वर्ष 47 ट्रिलियन डालर का योगदान करती हैं।
बायोलाजिकल सुपर मार्केट
वेटलैंड को बायो लाजिकल सुपरमार्केट कहा जाता है, क्योंकि यह विस्तृत बहुत भोज्य जाल का निर्माण करते हैं। फूड वेब्स यानी भोज्य जाल में कई खाद्य श्रृंखलाएं शामिल होती हैं। ऐसा माना जाता है कि फूड वेब्स पारिस्थितिक तंत्र में जीवो के खाद्य व्यवहारों का वास्तविक प्रतिनिधित्व करते हैं। एक समृद्ध फूड वेब्स समृद्ध जैव विविधता का परिचायक है और यही कारण है कि इसे बायो लाजिकल सुपरमार्केट कहा जाता है।
किडनीज आफ द लैंडस्केप
वेटलैंड्स को ‘किडनी आफ द लैंडस्केप’ यानी ‘भू दृश्य के गुर्दे’ कहा जाता है। जिस प्रकार हमारे शरीर में जल को शुद्ध करने का कार्य किडनी करती है, ठीक उसी प्रकार धरती पर वेटलैंड तंत्र जल चक्र द्वारा जल को शुद्ध करते हैं और प्रदूषण कारी तत्वों को निकाल देते हैं।
जल एक ऐसा पदार्थ है जिसकी अवस्था में बदलाव लाना अपेक्षाकृत आसान हैं। जल चक्र पृथ्वी पर उपलब्ध जल के एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होने और एक भंडार से दूसरे भंडार या एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने की चक्रीय प्रक्रिया है। जलीय चक्र निरंतर चलता रहता है और पृथ्वी पर इसके अभाव में जीवन असंभव हो जाएगा। हमारे जीवन के लिए जल को शुद्ध करने का कार्य वेटलैंड करते हैं।
वनस्पतियों व औषधीय पौधों के उत्पादन में भी वेटलैंड सहायक सिद्ध होते हैं। वेटलैंड्स जंतु ही नहीं बल्कि पादपों की दृष्टि से एक समृद्ध तंत्र है, जहां उपयोगी वनस्पतियां एवं औषधियां पौधे प्रचुर मात्रा में मिलती हैं। ये उपयोगी वनस्पतियां एवं औषधि पौधों के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।
वेटलैंड्स क्या है?
ऐसा भूभाग जहां की भूमि का एक बड़ा हिस्सा प्रतिवर्ष किसी मौसम में जल में डूबा रहे। ऐसे क्षेत्र में जलीय पौधे का बाहुल्य रहता है और यही आर्द्र भूमियों को परिभाषित करता है। जैव विविधता की दृष्टि से आर्द्र भूमि अत्यंत संवेदनशील होती है, क्योंकि आर्द्र भूमि ही विशेष प्रकार की वनस्पति और जीव के लिए अनुकूल होती है।
आर्द्र भूमि जल विज्ञान चक्र, बाढ़ नियंत्रण और जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसकी महत्ता को देखते हुए 2 फरवरी 1971 को ईरान के रामसर शहर में वैश्विक सम्मेलन हुआ। रामसर में पारित एक अभिसमय के अनुसार आर्द्रभूमि एक ऐसा स्थान है जहां वर्ष में 8 माह पानी भरा रहता है। रामसर अभिसमय के अंतर्गत विश्व में कुल 2200 आर्द्र भूमि स्थल है।
आर्द्र भूमि के लिए कानून
वर्ष 2011 में भारत सरकार ने आर्द्र भूमि संरक्षण और प्रबंधन अधिनियम 2010 की अधिसूचना जारी की। अधिनियम के तहत आर्द्रभूमि को 6 वर्गों में बांटा गया है। (1) अंतर्राष्ट्रीय महत्व की भूमियां। (2) पर्यावरणीय भूमियां जैसे राष्ट्रीय उद्यान गरान आदि। (3) यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल आर्द्रभूमियां। (4) समुद्र तल से 25 सौ मीटर से कम ऊंचाई की ऐसी आर्द्र भूमियां जो 500 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल घेरती हो। (5) ऐसी आर्द्रभूमियां जिस की पहचान प्राधिकरण ने की हो। (6) 2017 में आर्द्रभूमियों के संरक्षण के लिए वेटलैंड संरक्षण और प्रबंधन नियम 2017 नामक एक नया वैधानिक ढांचा लाया गया है।
भारत के 47 रामसर स्थल
देश में 47 रामसर स्थल हैं जिसमें चिल्का झील उड़ीसा, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान, लोकटक झील मणिपुर, वुलर झील जम्मू कश्मीर, हरिके झील पंजाब, सांभर झील राजस्थान, कंजली झील पंजाब, रोपड़ वेटलैंड पंजाब, कोलेरु झील आंध्र प्रदेश, दीपोर झील असम, पोंग बांध झील हिमाचल प्रदेश, त्सो मोरीरी झील लद्दाख, अष्टमुडी झील केरल, सस्थमकोट्टा झील केरल, वेम्बनाडकोल आर्द्र भूमि केरल, भोज वेटलैंड मध्य प्रदेश, भितरकनिका मैंग्रोव ओडिशा, प्वाइंट कैलिमेरे वन्य जीव और पक्षी अभ्यारण तमिलनाडु, पूर्व कोलकोत्ता आर्द्र भूमि पश्चिम बंगाल, चंदेल वेट नैनीताल प्रदेश रेणुका वेटलैंड हिमाचल प्रदेश, होकेरा वेटलैंड/ होकेर्सर वेटलैंड जम्मू और कश्मीर, सुरिंसर और मानसर झील जम्मू और कश्मीर, रुद्र सागर झील त्रिपुरा , ऊपरी गंगा नदी (बज्र घाट से नरौरा खिंचाव) उत्तर प्रदेश, नालसरोवर पक्षी अभ्यारण गुजरात, सुंदरबन डेल्टा क्षेत्र पश्चिम बंगाल, नंदूर मध्येश्वर महाराष्ट्र, नवाबगंज पक्षी अभ्यारण उत्तर प्रदेश, केशोपुर मिआनी कम्युनिटी रिजर्व पंजाब, व्यास संरक्षण रिजर्व पंजाब, नांगल वन्य जीव अभ्यारण पंजाब, सांडी पक्षी अभ्यारण उत्तर प्रदेश, समसपुर पक्षी अभ्यारण उत्तर प्रदेश, समन पक्षी अभ्यारण उत्तर प्रदेश, पार्वती अरगा पक्षी अभ्यारण उत्तर प्रदेश, सरसई नावर झील उत्तर प्रदेश, आसन कंजर्वेशन रिजर्व उत्तराखंड, काबर ताल बिहार, लोनार झील महाराष्ट्र, सूर सरोवर झील उत्तर प्रदेश, त्सो आर्द्र भूमि क्षेत्र लद्दाख, सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान हरियाणा, भिड़ावास वन्य जीव अभ्यारण हरियाणा, थोल झील वन्य जीव अभ्यारण गुजरात, वाधवाना आर्द्र भूमि क्षेत्र गुजरात, हैदरपुर वेटलैंड उत्तर प्रदेश है।
भारत में कुल आर्द्रभूमि 1067939 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुई है, जो देश के लगभग 1.6 करोड़ हेक्टेयर या 4.5% क्षेत्र को कवर करती है। सबसे बड़ा वेटलैंड सुंदरबन पश्चिम में बंगाल में 4230 वर्ग किलोमीटर में फैला है, वहीं सबसे छोटा रेणुका तालाब हिमाचल प्रदेश में जो 0.2 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हैं। आर्द्रभूमियों का संरक्षण करना पृथ्वी पर जीवन का संरक्षण करना है। 2022 के लिए थीम दी गई है ‘‘लोगों और प्रकृति के लिए आर्द्रभूमि भूमि कार्रवाई“ अंग्रेजी में बोले तो कहेंगे ‘‘वेटलैंड एक्शन फार पीपुल एंड नेचर“। तो आइए पृथ्वी पर हम सुरक्षित रहें इसके लिए वेटलैंड्स को बनाए रखने में अपना योगदान दें।
रविन्द्र गिन्नौरे