धरती पूजा कर मिट्टी की रक्षा का संकल्प

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‘‘हमारी माटी जिसे हम ‘माता’ ‘भुइयां’ कहते हैं, उसकी रक्षा करेंगे। हम अपने खेत, घरों और बगीचों में जैविक खाद का उपयोग करेंगे। हम ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिससे मिट्टी, जल और पर्यावरण की सेहत खराब हो। हम भूमि में रसायनिक और नुकसान दे केमिकल का प्रयोग नहीं करेंगे।“ यह शपथ दिलाई छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने।
माटी पूजन दिवस
कृषि पर्व अक्षय तृतीया पर छत्तीसगढ़ में एक इबारत लिखी गई। मुख्यमंत्री ने अक्ती पर्व को ‘माटी पूजन दिवस’ मनाएं जाने का आव्हान करते हुए खेत में जाकर पूजा अर्चना कर शुभारंभ किया। अक्ती पर्व में छत्तीसगढ़ के किसान धरती की पूजा अर्चना कर धरती माता से फसल लगाने की अनुमति मांगते हैं, इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री ने माटी पूजन कर कोठी से अन्न लेकर ठाकुर देव को समर्पित किया। देव को समर्पित अन्न को लेकर खेतों में खेत में बुवाई की और उपस्थित लोगों को शपथ दिलाई।
हमारी धरती धन-धान्य से सदैव भरी रहे अक्षय रहे अक्षय तृतीया का पर्व इन्हीं महत्व को उजागर करता है। छत्तीसगढ़ ने अक्ती त्यौहार के साथ खेती किसानी की शुरुआत होती है। किसान अच्छी फसल के लिए धरती माता, बैल, खेतीबाड़ी के औजार और बीजों की पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लेते हैं। अक्षय तृतीया के दिन स्वयंसिद्ध मुहूर्त होता है इस कारण सारे कार्यों की शुरुआत होती है। शादी विवाह का विशेष मुहूर्त होता है। अक्ती त्यौहार पर धरती धान्य की समृद्धि के लिए छत्तीसगढ़ में अभिनव पहल की गई।
जैविक खेती की पहल
धरती माता की रक्षा की शपथ लेकर जैविक खेती को बढ़ाना बढ़ावा देना ताकि मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहे। मिट्टी को पुनर्जीवन देने के लिए वर्मी कंपोस्ट, गोमूत्र आदि का उपयोग कर जैविक खेती को बढ़ावा देना देने की शुरुआत की गई है। रासायनिक खाद, कीटनाशकों से विषाक्त होती धरती और उस पर उपजने वाली फसलें विषाक्त हो रही हैं। हमारा भोजन जहर भरा हो चला है जो अनेक रोगों का जिम्मेदार है। मान व जीवन को सुखमय बनाने की पर्यावरणीय पहल की शुरुआत छत्तीसगढ़ से हो रही है अक्ती त्यौहार से।
मिट्टी जीवन्त है जो चराचर जगत को सहेजती है। पंचमहाभूत में से एक जो हमें भोजन प्रदान करती है। जहरीले रसायनों, कीटनाशकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से जमीन बंजर हो रही है। ऐसी जमीन पर उगने वाली फसलें भी विषाक्त हो रही है। समूचा पर्यावरण, पंचमहाभूत भी ऐसी विषाक्तता से अछूते नहीं हैं। दुनिया मिट्टी में व्याप्त विषाक्तता के खतरे से जूझ रही है।
धरती पर संकट से बचाव
‘माटी पूजन दिवस’ मनाकर हम जलवायु परिवर्तन से उपजते संकटों से उबरने की ओर चलेंगे। विश्व पर्यावरण दिवस पर मिट्टी को पुनर्जीवन देने का आव्हान किया गया है ताकि आमजन मिट्टी की अहमियत जाने, विषाक्त होती मिट्टी को बचाने की पहल करें। धरती माता की पूजा अर्चना करते हुए जब हम मिट्टी को पुनर्जीवन देते हुए जैविक खेती किसानी को अपनाने की ओर क़दम रखेंगे तो हर और सुख समृद्धि का वातावरण बनेगा।
धरती ही अक्षय है जो हमें मां जैसा स्नेह अपनी फसलों से देती है। पांडवों के वनवास काल में के दौरान भूखे थे। ऐसे समय में दुर्वासा ऋषि अपने संतों के साथ भोजन के लिए जा पहुंचे थे। भोजन संकट से उबरने के लिए युधिष्ठिर ने भगवान सूर्य से प्रार्थना की, जिन्होंने अक्षय पात्र दिया कि सभी अतिथि के लिए भोजन उपलब्ध होगा। श्री कृष्ण ने इस पात्र को द्रौपदी के लिए अजेय बना दिया जो जगत को तृप्त कर सके। प्रकारान्तर से धरती माता ही अक्षय है जो युगों युगों से संपूर्ण जगत को भोजन प्रदान कर रही है। हमारा पोषण करती धरती की रक्षा करें ताकि वह हमारा और हमारी पीढ़ियों का सतत् पोषण करती रहे।
धरती माता की रक्षा की शपथ दिलाते हुए मुख्यमंत्री ने पारंपरिक रीति-रिवाजों को फिर से पुनर्जीवित कर प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण संवर्धन की ओर जनमानस को प्रेरित किया है। हमारी पृथ्वी जलवायु परिवर्तन के संकटों से घिरती जा रही है। संकटों से बचने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। ऐसे उद्देश्यों को लेकर छत्तीसगढ़ राज्य अग्रणी भूमिका निभाते हुए आगे आया है। पारंपारिक विरासत और आधुनिक प्रौद्योगिकी का समन्वय कर हमें आगे बढ़ना होगा कहकर मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ में धरती की रक्षा करने का शुभारंभ किया।
अभिलाषा ठाकुर