पृथ्वी पर युद्ध से संकट, आत्मघाती आचरण

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रूस और यूक्रेन युद्ध वास्तव में उन नीति नियंताओं के बीच राजनीतिक आर्थिक वर्चस्व का मुकाबला है जो अपनी पसंद के विकल्पों को लेकर उसकी कीमत और कायदों में चलते हैं। यूक्रेन तबाह हो रहा है जहां के निर्दोष लोग लाशों में तब्दील हो रहे हैं फिर भी युद्ध खत्म करने का समाधान नहीं तलाशा जा सका है। युद्ध ऐसे समय पर जब जलवायु परिवर्तन का संकट और ग्लोबल वार्मिंग के खतरे की अंतिम चेतावनी वैज्ञानिकों ने दे डाली है।
भयावह संकट में पृथ्वी
धरती से निकाले गए तेल के व्यापार के ताने-बाने से तने अहंकारी देश इंसानियत के दुश्मन बन बैठे हैं। जबकि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग से उपजे तमाम संकटों से पृथ्वी घिरती जा रही है। मानव सभ्यता पर मंडराते भयावह खतरे को नजरअंदाज कर दुनिया को युद्ध में धकेलने वाले क्या इंसान नहीं है? युद्ध के चलते लोग घरों में, बंकरों में दुबके बैठे हैं मगर धरती पर मंडराता संकट तो थमा नहीं है।
एकाएक हुआ मौसम गर्म
ग्लोबल वार्मिंग का कहर देश-दुनिया के साथ पृथ्वी के दोनों ध्रुवों में आ बरपा है। मौसम की मार से उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव का तापमान तापमान एकाएक बढ़ गया है। मार्च माह में अंटार्कटिक भीषण गर्मी की चपेट में आया और वहां तापमान 70 डिग्री फारेनहाइट तक जा पहुंचा। आर्कटिक में तापमान औसत से 50 डिग्री अधिक गर्म हो चुका है। यहां की सैकड़ों किलोमीटर मोटी बर्फ में दरारें पड़ गई हैं। आने वाले दिनों के लिए यह भयावह तबाही मचाने वाला मंजर होगा, जब पिघलती बर्फ तेजी से ग्लेशियरों को तोड़ती हुई पानी बन प्रवाहित होगी। नदियों में क्रूरतम बाढ़ आएगी और समुद्र सतह तेजी से ऊपर उठ जाएगा!
समुद्र तट पर बसे शहरों पर खतरा मंडराने लगा है। समुद्री द्वीप जलमग्न होने के कारण सिकुड़ते जा रहे हैं। भारत का सुंदरबन का इलाका तो डूबता ही जा रहा है, जहां रहने वालों के पास पलायन ही एक रास्ता रह गया है।
ग्लोबल वार्मिंग के खतरे का अहसास अब सभी लोगों को होने लगा है। अभी गर्मी के दिन शुरू हुए हैं कि पारा 40 डिग्री के ऊपर चल रहा है। लू के थपेड़ों से जनजीवन झुलसा जा रहा है। इंटरगवर्नमेंटल पैनल आफ क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) ने चेतावनी दी है कि अगर नीतियों पर तत्काल प्रभाव से सख्ती नहीं की गई तो तापमान कई डिग्री बढ़ जाएगा और फिर इससे विध्वंसकारी परिणाम सामने आएंगे।
वैज्ञानिकों की अंतिम चेतावनी
धरती का तापमान 1.5 डिग्री बढ़ने से पहले आईपीसीसी की यह अंतिम रिपोर्ट हो सकती है, उसके पहले नदियों में बाढ़, लंबे काल का सूखा, भीषण चक्रवाती तूफान और जंगलों में लगती आग के मामले बढ़ते जा रहे हैं। मानव जीवन को बचाने के लिए सरकारों को अरबों रुपया खर्च करने पड़ रहे हैं।
हाल ही दुनिया में सबसे गर्म 15 स्थानों पर महाराष्ट्र का अकोला शीर्ष में रहा, जहां तापमान 42.2 डिग्री दर्ज किया गया। 15 गर्म जगहों में से चार भारत में हैं जिसमें जलगांव, खरगोन और खंडवा है। पाकिस्तान, लीबिया, नाइजर, चाड शीर्ष 15 में समाहित हैं।
पृथ्वी पर मानव जीवन के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। मौसम वैज्ञानिकों ने अंतिम चेतावनी भी दे दी है ऐसे हालात में दुनिया को युद्ध में धकेलना कैसी समझदारी है!
कब थमेगा युद्ध!
रूस यूक्रेन युद्ध के 47 दिन हो चुके हैं। यूरोपीय देशों ने यूक्रेन को युद्ध के मैदान में ला खड़ा किया है उसे हथियार मुहैया करा रहे हैं। यूक्रेन में रूस की मिसाइल, तोप शहरों को तबाह कर रही है जहां के शहर कस्बे में लाशों के ढेर में लगते जा रहे हैं। लोग जान बचाकर भाग रहे हैं। बड़े देशों के वर्चस्व को कायम रखने के लिए यूक्रेन की बलि दी जा रही है जिसकी निर्दोष जनता लाशों में बदल रही है। आर्थिक विकास की होड़ में बड़े देश अपना आधार मजबूत तो कर लेंगे मगर मौत को गले लगा चुके लोग फिर वापस नहीं लौटेंगे। जहां का समाज, परिवार के परिजन अनाथ बेसहारा जीवन जीने के लिए अभिशप्त हो जाएंगे।
मंहगाई बढ़ी दुनिया में
युद्ध के चलते दुनिया बढ़ती महंगाई के भंवर में फंस चुकी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में खनिज तेल का भाव बढ़ता जा रहा है इसके चलते महंगाई तेजी से बढ़ रही है। छोटे देश युद्ध से बढ़ती महंगाई से चिंतित हो गए हैं कि ऐसे संकट से कैसे उबरा जाए! कई देशों में जनता मंहगाई को लेकर बगावत पर उतर आई है।
दुनिया अभी-अभी कोरोना वायरस महामारी से उभरी है। जहां लोगों के रोजगार छिन गए थे। नौकरियां छीन गई थी। अब बढ़ती महंगाई ने लोगों को और मुश्किलों में डाल दिया है।
युद्ध समाधान नहीं है यह हर कोई जानता है फिर भी यह कैसा युद्ध जब भी संकट के भंवर में फंसती जा रही है उस ओर पहल करना छोड़ दुनिया के बड़े देश शुतुरमुर्ग जैसा आचरण कर रहे हैं समूचा जीवन खतरे में पड़ा है और हम हथियार ले एक दूसरे की जान के दुश्मन बन बैठे हैं। 21वीं सदी की सभ्यता का ऐसा आत्मघाती आचरण को भविष्य कभी माफ नहीं करेगा।
-रविन्द्र गिन्नौरे