कोरोना महामारी की आमद को डेढ़ साल गुजर जाने के बावजूद, हम आज भी ठीक से नहीं जानते हैं कि कोविड-19 के प्रसार का कारण बना सार्स-कोवी-2 वायरस, आखिर कहां से आया। अब तक प्रचलित दृष्टिकोण यह रहा है कि यह वायरस चमगादड़ों से मनुष्यों में ‘फैल गया’। लेकिन इस आशंका की जांच के लिए मांग बढ़ रही हैं कि यह चीन के वुहान में एक प्रयोगशाला से निकला है, जहां कोविड पहली बार 2019 के अंत में दिखाई दिया था। तो अब सवाल यह है कि हम निश्चित रूप से क्या जानते हैं, और हमें अभी भी क्या पता लगाने की आवश्यकता है?
हम जानते हैं कि सार्स-कोवी-2 वायरस का क्रम चमगादड़ कोरोना वायरस के समान है। कई दशक पहले इसका ‘पूर्वज’ दक्षिणी एशिया में चमगादड़ों की आबादी में घूम रहा था। लेकिन कई सवालों के जवाब अभी मिलना बाकी हैं। हम नहीं जानते कि वायरस वुहान में कैसे पहुंचा, मानव तक संक्रमण फैलाने के लिए इसका क्रम कैसे विकसित हुआ, और किन परिस्थितियों में इसने इसके रास्ते में आने वाले पहले व्यक्ति को संक्रमित किया। और हम नहीं जानते कि इनमें से प्रत्येक चरण के लिए, कोई मानवीय योगदान था या नहीं (प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष)।
वुहान प्रयोगशाला से इस वायरस के रिसाव की आशंका
पशुजनित संचरण मार्ग, दूसरे शब्दों में, जानवरों से मनुष्यों में वायरस के फैलने के बारे में अब दुनिया भर में व्यापक रूप से लिखा गया गया है। वैज्ञानिक यहां तक मानते हैं कि यह नए वायरस के प्रसार के लिए एक प्रमुख प्रणाली है। लेकिन इस तथ्य कि महामारी एक मुख्य वायरस अनुसंधान केंद्र के आसपास शुरू हुई जो मनुष्यों में महामारी क्षमता वाले कोरोना वायरस के अध्ययन में माहिर है – वुहान इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी – ने एक और परिकल्पना को जन्म दिया है और वह है प्रयोगशाला से इस वायरस के रिसाव की आशंका।
लैब दुर्घटनाएं इससे पहले भी मानव संक्रमण का कारण बन चुकी हैं, जिसमें 1977 की एच1एन1 फ्लू महामारी भी शामिल है, जिसमें 700,000 से अधिक लोग मारे गए थे। कौन सा सिद्धांत सही है? निश्चित प्रमाण के अभाव में, और साजिश के सिद्धांतों को बढ़ावा दिए बिना, सार्स-कोवी-2 की उत्पत्ति के बारे में एक गंभीर अंतर्राष्ट्रीय चर्चा की आवश्यकता है। पशुजनित सिद्धांत वैज्ञानिक समुदाय में, सार्स-कोवी-2 की उत्पत्ति को लेकर बहस महामारी फैलने की शुरुआत में दो लेखों के प्रकाशन के साथ शुरू हुई। इनमें पहला, दिनांक 19 फरवरी, 2020, चिकित्सा विज्ञान पत्रिका द लैंसेट में प्रकाशित हुआ था।
27 वैज्ञानिकों द्वारा हस्ताक्षरित इस लेख में महामारी के स्रोत की पहचान करने के लिए चीनी विशेषज्ञों के प्रयासों पर प्रकाश डाला गया है और परिणामों को साझा किया गया है। लेखकों ने वायरस की उत्पत्ति के बारे में ‘अफवाहों और गलत सूचनाओं’ की निंदा की, और कहा कि वे इस संबंध में ‘साजिश के सिद्धांत की कड़ी निंदा करते हैं जो यह सुझाव देते हैं कि कोविड -19 की उत्पत्ति प्राकृतिक नहीं है’। लेखकों ने वायरस के बारे में पहले प्रकाशित अनुक्रम आंकड़ों पर अपनी राय कायम की, लेकिन प्राकृतिक उत्पत्ति का समर्थन करने वाले वैज्ञानिक तर्कों का विवरण नहीं दिया।
आनुवांशिक हेरफेर एकमात्र ऐसा कारण नहीं है
मार्च 2020 में, ‘नेचर मेडिसिन’ में प्रकाशित एक अन्य लेख ने वायरस की प्राकृतिक उत्पत्ति के पक्ष में वैज्ञानिक तर्कों की एक श्रृंखला प्रदान की। लेखकों ने तर्क दिया- प्राकृतिक उत्पत्ति की परिकल्पना प्रशंसनीय है, क्योंकि यह कोरोना वायरसों के उद्भव का सामान्य तंत्र है उपलब्ध अनुक्रमों से एक नए वायरस के निर्माण की परिकल्पना करने के लिए सार्स-कोवी-2 का क्रम अन्य ज्ञात कोरोना वायरस से बहुत दूर से संबंधित है। इसका अनुक्रम प्रयोगशाला में आनुवंशिक हेरफेर के प्रमाण नहीं दिखाता है। इस अंतिम तर्क पर सवाल उठाया जा सकता है, क्योंकि ऐसे तरीके मौजूद हैं, जिनकी मदद से वैज्ञानिक बिना कोई निशान छोड़े वायरल अनुक्रमों को संशोधित कर सकते हैं।
इनमें जीनोम को टुकड़ों में काटना शामिल है जिसे बाद में एक साथ जोड़ा जा सकता है या, हाल ही में, आईएसए प्रोटोकाल का उपयोग करके, जिसमें एक दूसरे से जुड़े टुकड़े स्वाभाविक रूप से समरूप पुनर्संयोजन के माध्यम से कोशिकाओं में एक साथ आते हैंरू एक घटना जिसमें दो डीएनए अणु टुकड़ों का आदान-प्रदान करते हैं। इसके अलावा, आनुवांशिक हेरफेर एकमात्र ऐसा कारण नहीं है जो प्रयोगशाला दुर्घटना या रिसाव की बात कहता हो। इस बीच, वायरस के संबंध में पशुजनित परिदृश्य को साबित करने की कोशिश करने के लिए एक वर्ष से अधिक समय से किए जा रहे गहन शोध अब तक सफल नहीं हुए हैं। लगभग 30 प्रजातियों के 80,000 जानवरों के नमूनों में से सभी का जांच परिणाम नकारात्मक रहा है।
नमूने चीन के विभिन्न प्रांतों के पालतू जानवरों और जंगली जानवरों से लिए गए थे। लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बड़ी संख्या में नकारात्मक नमूने वायरस की पशुजनित उत्पत्ति परिदृश्य का खंडन नहीं करते हैं। प्रयोगशाला सिद्धांत प्रयोगशाला दुर्घटना सिद्धांत के लिए बहस करने वाले पहले लेखों पर बहुत कम ध्यान दिया गया, शायद इसलिए कि वे ‘बुलेटिन आफ द अटामिक साइंसेज’ जैसे समूहों से आए थे, जो प्रौद्योगिकी की आलोचना करते हैं, या बाहरी लोग जैसे डीआरएएसटीआईसी टीम (एक संक्षिप्त शब्द जिसका पूर्ण रूप है विकेंद्रीकृत कट्टरपंथी स्वायत्तता के लिए कोविड -19 की जांच करने वाला खोज समूह’)। यह समूह 24 स्वयंभू ‘ट्विटर जासूसों’ से बना है, जो अपने वास्तविक नामों के तहत भाग लेने वाले कुछ वैज्ञानिकों के अपवाद के साथ ज्यादातर गुमनाम हैं, 2020 में ट्विटर पर गठित इस समूह ने खुद के लिए सार्स-कोवी-2 की उत्पत्ति की खोज करने का मिशन निर्धारित किया है।
समूह की जानकारी और तर्कों की अपने आप में जांच की गई है जिन्हें कुछ वायरोलाजिस्ट, माइक्रोबायोलाजिस्ट और विज्ञान संचारकों द्वारा लिया और विकसित किया गया है। जुलाई 2020 में, इस लेख के लेखकों में से एक, एटिने डेक्रोली ने एक प्रयोगशाला दुर्घटना की संभावना पर चर्चा करते हुए एक वैज्ञानिक पत्र का सह-लेखन किया।
जर्नल साइंस में 13 मई को 8 वैज्ञानिकों द्वारा हस्ताक्षरित लेख के बाद प्रयोगशाला रिसाव सिद्धांत ने काफी जोर पकड़ लिया, जिसमें सार्स-कोवी-2 की उत्पत्ति के बारे में फिर से जांच का आह्वान किया गया। तो क्या यह संभव है? वायरस के उद्भव के संबंध में कई तत्व सवाल खड़े करते हैं। विशेष रूप से, यह सिद्ध हो चुका है कि वुहान इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी दक्षिणी चीन में एकत्र किए गए सार्स-कोवी-2 के एक करीबी वायरस को संभाल रहा था।
आयोग महामारी के कारण की पहचान करने में विफल
प्रत्यक्ष आनुवंशिक हेरफेर के अलावा, जंगलों में संग्रह के दौरान या प्रयोगशाला में कोशिकाओं या चूहों में विकसित वायरस के साथ प्रयोग के दौरान संक्रमण के परिणामस्वरूप एक प्रयोगशाला दुर्घटना भी हो सकती है, जरूरी नहीं कि इसके जीनोम में सीधे हेरफेर किया गया हो। हम निश्चित रूप से कैसे पता लगा सकते हैं? इस वर्ष के शुरु में, चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का एक संयुक्त आयोग एक जांच में महामारी के कारण की पहचान करने में विफल रहा, उसने यह निष्कर्ष निकाला कि इसके पशुजनित मूल की सबसे अधिक संभावना है और प्रयोगशाला दुर्घटना की संभावना बहुत कम है। लेकिन डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक, टेड्रोस एडनाम घेबरेसस ने घोषणा की कि अभी भी ऐसे प्रश्न हैं जिन्हें ‘आगे के अध्ययन द्वारा हल करने की आवश्यकता होगी’।
यह निर्धारित करने के लिए कि क्या सार्स-कोवी-2 प्रयोगशाला से निकला है, एक अधिक गहन जांच की आवश्यकता होगी जिसमें जांचकर्ताओं के पास अनुक्रम डेटाबेस के साथ-साथ चीनी शोधकर्ताओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले विभिन्न संसाधनों तक पहुंच हो, जिसमें प्रयोगशाला नोटबुक, प्रस्तुत परियोजनाएं, वैज्ञानिक पांडुलिपियां, वायरल अनुक्रम, आदेश सूची और जैविक विश्लेषण शामिल हैं। दुर्भाग्य से, सार्स-कोवी-2 के अनुक्रम डेटाबेस सितंबर 2019 से वैज्ञानिकों के लिए दुर्गम हैं।
प्रत्यक्ष प्रमाण के अभाव में, वैकल्पिक दृष्टिकोण अतिरिक्त जानकारी प्रदान कर सकते हैं। सार्स-कोवी-2 जैसे कोरोनावारसों के उपलब्ध अनुक्रमों का विस्तार से विश्लेषण करके, यह संभव है कि वैज्ञानिक समुदाय मजबूत सुरागों के आधार पर आम सहमति तक पहुंच जाए, जैसा कि उन्होंने 1977 के एच1एन1 वायरस सहित अन्य महामारियों के समय किया था।
रविन्द्र गिन्नौरे