महामारी फैलाने के साथ माहौल अजीब हो गया है। रोजी-रोटी का संकट उठ खड़ा हो गया है, जिनकी नौकरी छूट गई, रोजगार बंद हो गया। उनका आत्म विश्वास डगमगा रहा है, जो आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे हैं। मानसिक तनाव के शिकार बन रहे हैं कि वायरस संक्रमण के बीच जिंदगी की गाड़ी कैसे खींचे। भविष्य की चिंता सता रही है, उन्हें जो हाथ पर हाथ घर बैठे हैं कि अब क्या करें। नौकरी, रोजगार छोड़ अपने घर वापस लोग आ गए हैं, पर उनका चूल्हा कैसे जले, पेट की आग कैसे बुझे। सचमुच ऐसा मंजर घट रहा है, जिसे कोई देख नहीं पा रहा है और वे लोग अपनी व्यथा किसी से कह नहीं सक रहे हैं।
देवदूत बन खड़े हुए लोग
त्रासदी के बीच मदद के लिए उठे हाथ अभी तक थमे नहीं हैं। समाज सेवी संस्थाएं, धार्मिक संस्थाओं के साथ लाखों लोग मानवीय संवेदनाओं को सहेजने सामने आ रहे हैं। मौत से जूझते हुए लोगों के बीच जीवन को बचाए रखने वाले चिकित्सक, स्वास्थ्यकर्मी आज ईश्वर बन खड़े हुए हैं। लाकडाउन के बावजूद सफाई कर्मियों ने भी अपनी बखूबी ड्यूटी निभाई, जो प्रणम्य है। इसी के साथ खौफजदा खाकी वर्दी के प्रति लोगों की भावनाएं बदली हैं। दिन-रात अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद रहती पुलिस, कहीं खुशी बांटते दिखी, तो भूखे को भोजन देने में कोताही नहीं बरती। अर्थी को अपना कंधा देती पुलिस ने सच्चे सपूत का फर्ज भी निभाया। ऐसे तमाम लोग कभी विस्मृत नहीं किए जा सकेंगे, जिन्होंने महामारी की त्रासदी के बीच लोगों के बीच खड़े होकर उनका सहारा बने।
इंसान इस भयावह महामारी से जंग जीत लेगा, ऐसा हौसला रखने वाले कोविड 19 की वैक्सीन लाने में लगे हैं। सरकार भी हर संभव सहायता लोगों तक पहुॅंचा रही है। जहॉं सरकार नहीं पहुॅंच पा रही है, वहॉं संस्थाएं और लोग पहुॅंच रहे हैं मदद के लिए। जिंदगी जीने का अंदाज बदल रहा है। भयमुक्त होकर जीने की आरजू बढ़ चली है। हम सुरक्षित हैं, तो दूसरे कैसे सुरक्षित रहें, इस ओर सोचें। किसी को यह गम न सताए कि उसका परिवार कैसे चलेगा, उसकी चिंता, संवेदना को समझ कर उसकी पूर्ति करने की मानवीयता उस अंतर्मन में जगे, जो सबल हैं, सशक्त हैं, ऐसी आशा है आज के परिवेश के लिए। महामारी का समय ठहरेगा नहीं, मगर कोई जिंदगी बेजार न हो, इसके लिए मदद के लिए उठे हमारे हाथ …।
जैव-विविधता को संरक्षित रखने का संकल्प दोहराएं
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस धरती को भविष्य की पीढ़ियों के लिए बेहतर स्थान बनाने के लिहाज से सामूहिक प्रयासों का शुक्रवार को आह्वान किया।
उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि विश्व पर्यावरण दिवस पर हम अपनी पृथ्वी की समृद्ध जैव- विविधता के संरक्षण की अपनी प्रतिज्ञा दोहराते हैं। आइए हम सामूहिक रूप से वनस्पतियों और जीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास करें जिनसे पृथ्वी फल-फूल रही है। उन्होंने लिखा कि काश, आगामी पीढ़ियों के लिए हम एक बेहतर धरती बना पाएं। मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कार्यकम का एक वीडियो भी शेयर किया जिसमें उन्होंने विश्व पर्यावरण दिवस का जिक्र किया था। उन्होंने कहा कि इस वर्ष की थीम जैव विविधता है, जो आज के हालात में खासतौर से प्रासंगिक है। लाकडाउन के कारण बीते कुछ हफ्तों में जीवन की गति जरूर कुछ धीमी पड़ी लेकिन इसने हमें हमारे आसपास प्रकृति की समृद्ध विविधता या जैव-विविधता पर आत्मनिरीक्षण का एक अवसर भी दिया।
उन्होंने कहा कि वायु एवं ध्वनि प्रदूषण की वजह से पक्षियों की कई प्रजातियां एक तरह से लुप्त हो गई थीं लेकिन इतने वर्षों बाद लोग अपने घरों में वो सुमधुर कलरव फिर सुन सकते हैं। प्रधानमंत्री ने बरसात का पानी बचाने की भी अपील करते कहा कि बारिश के पानी के संरक्षण के परंपरागत तरीके बहुत ही आसान हैं और उनकी मदद से हम पानी को बचा सकते हैं।
उन्होंने लोगों से पौधारोपण करने तथा इस बारे में संकल्प लेने को भी कहा ताकि प्रकृति से हमारा रोजाना का रिश्ता बन जाए। गर्मी बढ़ रही है इसलिए पक्षियों के लिए पानी रखना न भूलें।