बगीचे की सिंचाई के लिए स्वचालित प्रणाली

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गर्मी के मौसम में अकसर पानी का संकट गहराने लगता है। पेयजल के साथ-साथ सभी कामों के लिए पानी की कमी महसूस होने लगती है। जल संसाधनों के अत्यधिक एवं अप्राकृतिक दोहन से लगभग सभी प्रकार के पानी के स्रोतों की क्षमता प्रभावित हुई है। अधिकतर शहरों में शासकीय जल प्रदाय भी गर्मी के दिनों में बाधित होता रहता है। ऐसी स्थिति में जल के अपव्यय को रोकना तथा उसका उचित प्रबंधन करना बेहद आवश्यक हो गया है।
गांव हो या शहर, जहां भी संभव हो लोग अपने घरों में छोटा सा बगीचा लगाते हैं, जिसमें पानी की नियमित आपूर्ति होना प्राकृतिक रूप से लगे पेड़ों की तुलना में अधिक आश्यक होती हैं। गर्मियों में पौधों को पानी ना दिया जाए तो उनके सूखने की संभावना बनी रहती है। यदि हम घर से बाहर हों या किसी व्यस्तता के कारण पानी देना भूल जाएं तो फिर पौधे सूखने लगते है।
अकसर लोग बगीचे की सिंचाई पाइप के द्वारा करते हैं जिससे पानी अधिक खर्च होता है। हम इन सभी समस्याओं का समाधान करने के लिए एक ऐसी स्वचालित प्रणाली बनाएंगे जो पौधों को नियमित अंतराल पर समुचित मात्रा में पानी देती रहेगी, जिससे कि पौधों के सूखने की संभावना भी कम रहेगी और पानी का अपव्यय भी कम होगा।
इस प्रोजेक्ट में गमलों में पानी का संवेदन यानी सेंस करने के लिए चालकता आधारित नमी सेंसर का इस्तेमाल करेंगे, जिसमें 2 सेंसिंग प्रोब 1 सेंटीमीटर की दूरी पर लगे होते हैं। इनको मिट्टी में लगभग 3 सेंटीमीटर तक गाड़ना होगा। मिट्टी में नमी की मात्रा बढ़ने पर दोनों प्रोब के मध्य चालकता बढ़ती है, जिसे सेंसर में लगी ऑपरेशनल एमि्ंप्लफायर आईसी डिजिटल आउटपुट में बदल देती है।
कितनी नमी होने पर आउटपुट चाहिए, इसे सेंसर में लगे पोटेंशियोमीटर की सहायता से तय कर सकते है। यह डिजिटल आउटपुट माइक्रोकंट्रोलर को प्रदान किया जाता है, जो कि इसके आधार पर पानी के पंप या वॉल्व को चालू अथवा बंद करता है।
सोलेनॉइड वॉल्व
परिपथ के केंद्र में 8051 आधारित 20 पिनों वाला माइक्रोकंट्रोलर ।AT89C2051 का उपयोग करेंगे, सस्ता है और बाजार में आसानी से मिल जाता है। यहां माइक्रोकंट्रोलर को चलाने के लिए आवश्यक क्लॉक पल्स 12 मेगा हर्ट्स के क्रिस्टल ऑसिलेटर से देंगे तथा पावर ऑन होने पर माइक्रोकंट्रोलर को रीसेट करने के लिए पिन क्रमांक 1 पर 10 किलो ओह्म् का रेसिस्टर एवं 10 माइक्रोफैरड का केपैसिटर लगाएंगे। पिन क्रमांक 10 ऋणात्मक पावर सप्लाई के लिए तथा पिन क्रमांक 20 धनात्मक पावर सप्लाई के लिए है। इन 5 पिनों के अलावा 15 अन्य पिनें उपयोग के लिए उपलब्ध होती है, जिन्हें कोड द्वारा इच्छानुसार प्रोग्राम कर सकते हैं।
पौधों में पानी देने के लिए सुबह का समय उपयुक्त होता हैं। सुबह हो गई है, इसे सेंस करने के लिए प्रकाश आधारित सेंसर मॉड्यूल का इस्तेमाल करेंगे। इसमें प्रकाश की तीव्रता मापने के लिए एलडीआर लगा होता है, जिसका आउटपुट ऑपरेशनल एम्प्लिफायर आईसी को दिया जाता है, जो कि नमी सेंसर मॉड्यूल की तरह ही डिजिटल आउटपुट प्रदान करती है। कितने प्रकाश पर डिजिटल आउटपुट चाहिए, इसे मॉड्यूल पर लगे प्रीसेट के द्वारा तय कर सकते हैं।
सुबह होने पर सूर्य का प्रकाश पड़ते ही यह मॉड्यूल डिजिटल आउटपुट माइक्रोकंट्रोलर को देगा और इसके बाद माइक्रोकंट्रोलर नमी सेंसर के इनपुट को चेक करेगा। यदि सेंसर मिट्टी को सूखा बताएगा तो मिट्टी के गीला होने तक या तय किए समय तक माइक्रोकंट्रोलर मोटर/वॉल्व को चालू करेगा।
सामान्यतः पानी देने के लिए घरेलू मोटर पंप का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। यदि पंप की व्यवस्था ना हो तो पंप के स्थान पर सोलेनॉइड वॉल्व का उपयोग कर सकते हैं जो कि ऊपर की पानी की टंकी से आने वाले पानी के प्रवाह को नियंत्रित कर सकेगा।
सोलेनॉइड वॉल्व विद्युत चुंबक के सिद्धांत पर कार्य करता है, जिसमें डी.सी. धारा प्रवाहित होने पर वॉल्व का अवरोध हट जाता है तथा पानी सुचारू रूप से प्रवाहित होने लगता है। विद्युत आपूर्ति बंद करने पर वॉल्व स्प्रिंग की सहायता से बंद हो जाता है।
बाजार में अलग-अलग वोल्टेज के एवं इनपुट-आउटपुट एवं 12 वोल्ट डी.सी. पर चलने वाले सोलेनॉइड वॉल्व खरीदेंगे तो इस्तेमाल में आसानी होगी। यहां परिपथ में 230 वोल्ट ए.सी. पर चलने वाली पानी की मोटर एवं 12 वोल्ट डी.सी. पर चलने वाले सोलेनॉइड वॉल्व दोनों के कनेक्शन डायग्राम किए हुए हैं, आप अपनी सुविधानुसार दानों में से किसी एक का उपयोग कर सकते हैं।
परिपथ में माइक्रोकंट्रोलर इनपुट-आउटपुट संबंधी सभी कार्यों को कोड किए गए प्रोग्राम के आधार पर नियंत्रित करता है। माइक्रोकंट्रोलर का कोड लिखने के लिए आप सुविधानुसार किसी भी कंपाइलर का इस्तेमाल कर सकते हैं। कोड को कंपाइलर के बाद हेक्स फाइल प्राप्त होती है, जिसे माइक्रोकंट्रोलर में कॉपी करना पड़ता है। कॉपी करने के लिए यदि आपके पास माइक्रोकंट्रोलर प्रोग्रामर हो तो ठीक है, अन्यथा अपने आस-पास के किसी तकनीकी कॉलेज से संपर्क करके भी फाइल के लिए आप हमसे ई-मेल द्वारा संपर्क कर सकते हैं।
यहां पानी के प्रवाह के लिए पाइप फिटिंग के बारे में जान लेते हैं। हम ड्रिप इरिगेशन (टपक सिंचाई) के लिए प्रयुक्त पाइप का इस्तेमाल कर सकते हैं जो कि मोड़ने में आसान तथा दाम में काफी सस्ता होता है। हमें पाइप को इस तरह से बिछाना होगा जिससे कि वह प्रत्येक गमले से होकर गुजरे। गमले के ऊपर जाते हुए पाइप में हमें पानी निकलने के लिए छेद करना होगा जिसका आकार आप एक बार पाइप में पानी प्रवाहित करके पानी की वांछित मात्रा कितनी देर में निकलती है, उस आधार पर तय कर सकते हैं। हम यहां छेद का आकार नहीं बता सकते क्योंकि आपकी पानी की टंकी अथवा मोटर से आने वाले पानी के दबाव यानी प्रेशर का अनुमान हम नहीं लगा सकते हैं।
ध्यान रखें कि पाइप के अंत में पानी का दबाव तुलनात्मक रूप से कम होता है, इसलिए सभी छेद एक ही आकार के ना करें। हमें अलग-अलग गमलों के आकार एवं उनमें लगे पौधों के अनुरूप पानी की मात्रा अलग-अलग तय करनी चाहिए। मोटर अथवा वॉल्व के चालू होने का समय माइक्रोकंट्रोलर की पिन क्रमांक 17,18 एवं 19 पर लगे जंपरों की सहायता से तय कर सकते है। पिन क्रमांक 17 पर जंपर लगाने से मोटर/वॉल्व 2 सेकंड के लिए चालू होगी। पिन क्रमांक 18 पर जंपर लगाने से मोटर 10 सेकंड के लिए एवं पिन क्रमांक 19 पर जंपर लगाने से मोटर 20 सेकंड के लिए चालू होगी। मोटर के चालू होने के समय को कोड में फेरबदल करके परिवर्तित कर सकते हैं।
परिपथ में क्योंकि माइक्रोकंट्रोलर का इस्तेमाल हुआ है, अतः यदि आप दिए गए पीसीबी लेआउट का उपयोग करके व्यवस्थित पीसीबी बनाएंगे तो बेहतर होगा, अन्यथा बहुछिद्रित पीसीबी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। कौन सा कंपोनेंट कहां लगाना है, उसके लिए कंपोनेंट लेआउट भी दिया गया है। माइक्रोकंट्रोलर को लगाने के लिए बेस का उपयोग करें ताकि कोड बदलने के लिए उसे आसानी से निकाला जा सके। विद्युत आपूर्ति के लिए यहां 12 वोल्ट 2 एम्पियर के स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर का इस्तेमाल किया गया है, जिससे प्राप्त 12 वोल्ट ए.सी. को चार डायोड से बने ब्रिज रेक्टिफायर की सहायता से 12 वोल्ट डी.सी. में परिवर्तित किया गया है। यहां से प्राप्त 12 वोल्ट डी.सी. का उपयोग रिले तथा सोलेनाइड वॉल्व के परिचालन के लिए किया जाएगा। परिपथ में प्रयुक्त माइक्रोकंट्रोलर एवं दोनों सेंसर 5 वोल्ट डी.सी.पर चलते हैं। अतः प्राप्त 12 वोल्ट डी.सी. पर 5 वोल्ट का वोल्टेज रेग्युलेटर लगाएंगे जो की हमें स्थिर 5 वोल्ट डी.सी. प्रदान करेगा। 5 एवं 12 वोल्ट डी.सी. पर लगे 1,000 माइक्रोफैरड के केपैसिटर डी.सी. शुद्ध करने के काम आते है।
यहां रिले का इस्तेमाल करना इसलिए आवश्यक है क्योंकि यदि हम पानी की मोटर चलाना चाहेंगे तो वह 230 वोल्ट ए.सी. पर चलती है, जिसे नियंत्रित करना 5 वोल्ट डी.सी. पर चलने वाले माइक्रोकंट्रोलर के लिए संभव नहीं हैं। इनपुट एवं आउटपुट में रिले पूर्ण पृथक्करण प्रदान करता है, अतः सुरक्षित रूप से ए.सी. उपकरण को चला सकते हैं। माइक्रोकंट्रोलर से सीधे रिले नहीं चल सकता क्योंकि उसकी विद्युत चुंबकीय कुंडली यानी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कॉइल की करंट खपत माइक्रोकंट्रोलर के आउटपुट से अधिक होती है, अतः हम एनपीएन ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल करेंगे। कॉइल के समानांतर डायोड लगाएंगे जो कि रिले बंद होते समय आने वाले उच्च विभव से ट्रांजिस्टर की रक्षा करेगा। परिपथ को समायोजित करने के बाद इसे प्लास्टिक के डिब्बे में ऐसी जगह फिट कर दें जहां इस पर सीधा पानी ना पड़े। नमी एवं प्रकाश सेंसर, दानों पर आउटपुट अधिक प्रदर्शित करने वाला एलईडी संकेतक लगा हुआ है जो कि इच्छित नमी एवं प्रकाश की मात्रा निर्धारित करने मे सहायता प्रदान करेगा। डिजिटल आउटपुट हाई होते ही एलईडी चालू हो जाती है। परिपथ को दो-तीन दिन तक निगरानी में रखें जिससे कि यह पता लग सके कि प्रत्येक गमले तक समुचित मात्रा में पानी पहुंच रहा है अथवा नहीं। आवश्यकता पड़ने पर पाइप में छेदों को आकार को छोटा या बड़ा किया जा सकता है।
अभिनव चौर