मुश्किल भरे दौर में सभी क्षेत्रों में उम्मीद की किरण से आलोकित करने वाला बजट भविष्योन्मुखी है। भारत को आधुनिक राष्ट्र बनाने के लिए आत्मनिर्भर व्यवस्था को गति देने की परियोजनाओं को बजट में साकार किया गया है। दुनिया के बाजार में भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता विश्वसनीय और विश्वस्तरीय होगी ऐसी निर्भरता के लक्ष्य को लेकर हमारे उद्यमों में कल्पनाशीलता को यथार्थ रुप दिया गया है बजट में। भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी तभी रोजगार के नए आयाम पैदा होंगे रोजगार को बढ़ाने वाला जीवन और व्यापार की सुगमता से सुधारो से व्यापक लाभ मिलेगा।
बजट को राजनीतिक लिहाज की बजाय उसे समग्रता से देखा जाए तो नए तथ्य उभरते दिखते हैं भविष्योन्मुखी बजट में सूचना प्रौद्योगिकी, ड्रोन, ए आई, ब्लाक चेन, डिजिटल करेंसी जैसे कई उभरते क्षेत्रों पर जोर यही दर्शाता है।
डिजिटल प्लेटफार्म
आने वाले 25 साल के इंफ्रा की नींव रखते हुए बजट में 16 मंत्रालयों को एक भी डिजिटल प्लेटफार्म पर लाया जाएगा, इनमें रेलवे, सड़क, पेट्रोलियम, गैस, बिजली, टेलीकाम, नौवहन, विमानन और औद्योगिक पार्क शामिल हैं। इससे देश में 109 एयरपोर्ट, 11 हेलीपोर्ट, 12 वाटर एरोड्रम, 2 लाख किलोमीटर लंबा हाईवे, 200 मेगा फूड पाक बनेंगे। इसी के तहत आने वाले 3 साल में 400 वंदे मातरम ट्रेनें चलेंगी। 100 कार्गो टर्मिनल बनाए जाएंगे वहीं नेशनल हाईवे नेटवर्क 25000 किलोमीटर तक बढ़ाए जाएंगे।
आम बजट में डिजिटल सबसे ऊपर और सब में शामिल किया गया है। इकोनामी और सामाजिक ढांचे के सभी वर्गों को एक डिजिटल लड़ी में पिरोने की घोषणा कर सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि चौथी औद्योगिक क्रांति में भारत अगुआ बनने जा रहा है। माना जा रहा है कि भारत में औद्योगिक क्रांति की शुरुआत डिजिटल इकोनामी के तौर पर हो चुकी है, जो देश अपनी इकोनामी में डिजिटल तकनीक पर जितना भरोसा करेगा उतनी ही तेजी से विकास की ओर अग्रसर होगा।
भारत डिजिटल क्रांति के नए दौर में प्रवेश कर चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में डिजिटल इंडिया की शुरुआत की थी। बैंकिंग से लेकर सरकारी सुविधाओं को सीधे लाभार्थी के खाते तक पहुंचाने की सुविधा इस कारण ही संभव हुई है। अब देश की आधी आबादी के हाथों इंटरनेट वाला स्मार्टफोन पहुंच चुका है ऐसे समय में सरकार की तरफ से बजट में की गई घोषणा डिजिटल इंडिया प्रोग्राम को तीव्र गति दे रही है।
भारतीय रिजर्व बैंक ‘डिजिटल रूपी’ जारी करेगा। ब्लाकचेन और टेक्नोलाजी के जरिए इसे पेश किया जाएगा। इसे देश की सावरेन करेंसी में भी बदला जा सकता है। डिजिटल करेंसी डिटेल और होलसेल होगी। आमजन और कंपनियां रिटेल करेंसी का इस्तेमाल करती हैं जबकि करेंसी का इस्तेमाल वित्तीय संस्थाओं द्वारा किया जाता है। डिजिटल इकोनामी मजबूत होगी व करेंसी का प्रबंधन सस्ता हुआ आसान होगा। डिजिटल बैंक के साथ डिजिटल यूनिवर्सिटी से भी देश में तरक्की के नए रास्ते खुलेंगे।
हाइटेक खेती-बाड़ी
बजट का फोकस अर्थव्यवस्था में दूरगामी विकास की संभावनाओं पर है और इसके लिए सभी सेक्टरों में डिजिटल तकनीक को बढ़ावा दिया गया है। फसलों के आंकलन और भू रिकार्डो के डिजिटलीकरण के लिए ड्रोन के इस्तेमाल से फसल बीमा प्रदान करने में मदद मिलेगी । सरकार खेती-बाड़ी को हाईटेक बनाना चाहती है इसके लिए ‘पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड’ में एक नई योजना की शुरुआत की जाएगी, जिसके तहत किसानों को डिजिटल और हाईटेक सुविधा मिलेगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि पीपीपी मोड के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की अनुसंधान और विस्तार संस्थाओं के साथ-साथ निजी कृषि प्रौद्योगिकी कंपनियां और एग्री वैल्यू चैन भी शामिल होंगी।
बजट में प्राकृतिक खेती पर जोर दिया गया है। देश में केमिकल फ्री प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। योजना के पहले चरण में गंगा नदी से सटे 5 किलोमीटर चौड़े कारीडोर्स के अंतर्गत आने वाले जिन किसानों की जमीन आएगी वहां प्राकृतिक खेती की शुरुआत की जाएगी। प्राकृतिक खेती रसायन मुक्त होंगी।
पर्यावरण संरक्षण
देश में ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बजट में उच्च क्षमता वाले सोलर माड्यूल्स के निर्माण के लिए नए प्रोडक्टशनल लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम (पीएलआई) की घोषणा की है। इस योजना में भागीदारी करने वाली कंपनियों को पालिसिलिकान से लेकर पीवी माड्यूल्स बनाने वाली इंटीग्रेटेड यूनिट्स स्थापित करनी होंगी। वित्त मंत्री ने कहा कि वर्ष 2030 तक देश की सौर ऊर्जा विद्युत उत्पादन क्षमता को 280 गीगावाट तक पहुंचाने में यह योजना बड़ी भूमिका निभाएगी। इससे घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को भी बढ़ावा मिलेगा। बजट में सोलर पैनल निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए 19500 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है।
ग्लासगो के जलवायु सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2070 तक भारत को नेट जीरो उत्सर्जन वाला देश बनाने की प्रतिबद्धता जताई है। वर्ष 2047 स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में भारत के लिए अहम पड़ाव साबित होगा। वर्तमान में देश की कुल ऊर्जा उत्पादन में अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी 26प्रतिशत से अधिक है। इसमें जल ऊर्जा परियोजनाओं को मिला लें तो कुल ऊर्जा उत्पादन क्षमता में स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का योगदान 38 प्रतिशत से अधिक है।
पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए बजट में प्रावधान किया गया है। सरकार ने बैटरी स्वैपिंग माडल को बढ़ावा देने की योजना बनाई है। वित्त मंत्री ने बजट भाषण में कहा कि बड़े पैमाने पर चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए शहरी क्षेत्रों में जगह की कमी को ध्यान में रखते हुए एक बैटरी स्वैपिंग नीति लाई जाएगी। सभी गाड़ियों में एक जैसी बैटरी लग सके इसके लिए निजी क्षेत्रों को सेवा के रूप में बैटरी या ऊर्जा का बिजनेस माडल विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। देश में कुछ जगह स्पेशल मोबिलिटी जोन तय किए जाएंगे जहां पारंपरिक फ्यूल से चलने वाले वाहन पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेंगे। इस पहल से देश में और ऊर्जा क्षेत्र के विकास को और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।
जल संरक्षण
देश की नदियों को जोड़ने से खुशहाली की राह बनाने वाली परियोजना को बजट में केन बेतवा नदी जोड़ परियोजना के लिए रूपए 1400 करोड़ का प्रावधान किया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इसके अलावा पांच नदी जोड़ परियोजना को तैयार कर लिया गया है। दमणगंगा- पिंजाल, पार- तापी- नर्मदा, गोदावरी- कृष्णा, कृष्णा-पेन्नार, नदियों को जोड़ने के लिए विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर ली गई है।
1980 में केंद्रीय सिंचाई मंत्रालय ने देश की नदी जोड़ परियोजना को मंजूरी दे दी थी अटल बिहारी सरकार के समय नदी जोड़ परियोजना पर काम शुरू हुआ था जिसे बाद में अमल में नहीं लाया जा सका। 42 वर्ष बाद केन- बेतवा नदी पर काम शुरू होने जा रहा है जिसका प्रावधान बजट में किया गया है। आजादी के सौ साल बाद सशक्त, समर्थ भारत बनाने की दिशा में पहल करते हुए आत्म निर्भरता की ओर ले जाने वाला बजट है, जिसमें देश की समस्याओं के मद्देनजर, जन सरोकार के एहसासों को समेटे समग्र जीवन में बदलाव लाने वाली सोच को मूर्त रूप दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं ‘‘यह बजट सौ साल की भयंकर आपदा के बीच विकास का नया विश्वास लेकर आया है। यह बजट ज्यादा इंफ्रास्ट्रक्चर, ज्यादा निवेश, तेज ग्रोथ और नौकरियों की नई संभावनाओं से भरा हुआ है।“
रविन्द्र गिन्नौरे