यमुना नदी देश की राजधानी दिल्ली में इन दिनों उड़ती हुई नजर आ रही है। यह कोई हवा हवाई बात नहीं है, ना ही कोई चमत्कार है, बल्कि यमुना नदी में उड़ेले जा रहे केमिकलों की वजह से नदी उड़ने लगी है। उड़ती हुई यमुना को लैंड कराना मुश्किल हो रहा है और सरकार की किरकिरी हो रही है। इन दिनों तैरती सफ़ेद चादर घरों में भी घुसती चली जा रही है।
यमुना में झाग
दरअसल यमुना नदी में झाग बन रहा है और यह झाग भारी मात्रा में हवा में तैरने लगा है। गर्मी में वैसे नदी सूख चली है, मगर झाग और तेजी से बन रहे हैं। यमुना नदी को ऐसी अवस्था में पहुंचाने का कारण है कि नदी में हर बड़ा शहर अपना सीवेज बिना साफ किए प्रवाहित कर रहा है।
शहरों के अनुपचारित सीवेज में फास्फेट और सर्फेक्टेंट भारी मात्रा में होते हैं जिनकी वजह से पानी में झाग उत्पन्न होता है। यमुना नदी में कई महीनों से जहरीले झाग इन दिनों काफी बढ़ चले हैं। बहती तेज हवाओं के साथ झाग जहां कहीं भी तैरते दिख रहे हैं।
शहरों के नाले नदी में
यमुना नदी यमुनोत्री से इलाहाबाद तक गंगा में समाहित होने के पहले 1370 किलोमीटर का सफर तय करती है। हरियाणा, उत्तर प्रदेश होती हुई यमुना राजधानी दिल्ली में आती है। दिल्ली में हर दिन 720 मिलियन गैलन पानी निकलता है वह यमुना नदी में बहाया जाता है।
दिल्ली आते-आते यमुना नदी अत्यधिक प्रदूषित हो जाती है दिल्ली में सैकड़ों सहित 38 बड़े नालों का गंदा पानी नदी में छोड़ा जाता है इसके बाद यमुना मटमैली काली सी दिखती है और इसी के साथ झाग बनना शुरू हो जाता है। पानी में अमोनिया का स्तर बढ़ जाता है कि प्रदूषण की सफेद चादर झाग के रूप में जहां तहां नजर आ रहा है।
दो-तीन साल झाग रहेंगे
यमुना नदी अब गंदगी ढोने वाली नदी बन गई है, जिसमें 600 टन कचरा बहाया जाता है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली को यमुना नदी में झाग कम करने के लिए एसटीपी को अपग्रेड करने का आदेश दिया है। दिल्ली सरकार ने बताया कि 40 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट चल रहे हैं। नदी में झाग को बंद करने के लिए दो-तीन साल और लगेंगे। जबकि यमुना की साफ सफाई के लिए केंद्र सरकार अब तक 15 सौ करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। जाहिर है कि मौजूद सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में निर्धारित मानकों की अवहेलना की जा रही है।
आश्चर्य की बात है कि यमुना नदी से दिल्ली वासियों को पीने का पानी मुहैया करवाया जा रहा है, जबकि नदी जल बेहद प्रदूषित हो चुका है। नदी जल को भले ही साफ किया जा रहा है मगर पानी में विषाक्त तत्व बरकरार रहते हैं जो इंसानों के साथ जानवरों के लिए भी घातक होते हैं।
यमुना नदी शहरी प्रदूषण का शिकार हो गई है और अब नदी में झाग बन रहे हैं । जाहिर है कि नदी की जितनी सफाई की जा रही है उससे कई गुना अधिक गंदगी डाली जा रही है। अगर यही रवैया बरकरार रहा तो यमुना नदी दिल्ली वासियों को वहीं विषाक्तता देने लगेगी जो वे नदी में प्रवाहित कर रहे हैं।