7 मिलियन लोग मर रहे हैं वायु प्रदूषण से

वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन (WHO) ने एक हैरान और परेशान करने वाली जानकारी साझा की है। संगठन ने बताया है कि दुनियाभर में तेजी से बढ़ते वायु प्रदूषण की वजह से पैदा होने वाली समस्याओं की वजह से हर एक मिनट में 13 लोगों की मौत हो रही है। डब्ल्यूएचओ ने ट्विटर पर एक पोस्ट साझ करते हुए बताया है कि दुनियाभर में वायु प्रदुषण तेजी से बढ़ रहा है जिसकी वजह से फेफड़ों का कैंसर, दिल से जुड़े रोग और स्ट्रोक जैसे गंभीर और जानलेवा बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है, इससे हर मिनट कम से कम 13 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है।
संगठन ने चेतावनी दी है कि तेल, कोयला और नैचुरल गैस जैसे जीवाश्म ईंधन के जलने से वायु प्रदूषण होता है और इसे रोकना जरूरी है। अगर स्वस्थ कल, एक स्वस्थ ग्रह और एक स्वस्थ जीवन चाहिए, तो जमीन में जीवाश्म ईंधन रखें।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन ने कहा है कि वायु प्रदूषण दुनिया में हो रही मौतों का एक बड़ा कारण है. संगठन का खाना है कि परिवेश और घरेलू वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से हर साल 7 मिलियन से अधिक लोगों की मौत होती है।
वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियां
संगठन का मानना है कि शहरों में इसका अधिक खतरा है। वायु प्रदूषण के प्रभाव से हर साल लाखों लोगों की समय से पहले मौतें होती हैं, जिसका मुख्य कारण स्ट्रोक, हृदय रोग, क्रानिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, फेफड़ों का कैंसर और तीव्र श्वसन संक्रमण आदि हैं।
दुनिया की 915 आबादी प्रदूषण की चपेट में
संगठन का मानन है कि दुनिया की 915 आबादी उन जगहों पर रहती है, जहां वायु प्रदूषण का स्तर डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन की सीमा से अधिक है। निम्न और मध्यम आय वाले देश में रहने वाले लोग अधिक पीड़ित हैं।
वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा जोखिम शहर में रहने वाले लोगों के लिए। इससे शहरों में स्ट्रोक, हृदय रोग, फेफड़ों के कैंसर, तीव्र और पुरानी सांस की बीमारियां बढ़ रही हैं जिसकी वजह से प्रति वर्ष अनुमानित 4.2 मिलियन मौत हो रही हैं।
घरेलू वायु प्रदूषण से हर साल 3.8 मिलियन मौत
घरेलू वायु प्रदूषण विकासशील देशों में बीमारी और अकाल मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। खाना पकाने की आग से धुएं के संपर्क में आने से हर साल 3.8 मिलियन लोगों की अकाल मृत्यु हो जाती है। इसमें ज्यादातर निम्न और मध्यम आय वाले देश शामिल हैं।
कोरोना वायरस महामारी के दौर में वायु प्रदूषण को रोकना और ज्यादा जरूरी हो गया है क्योंकि यह सांस और फेफड़ों से जुड़ी बीमारी है, जो सीधे रूप से उन्हें डैमेज करके मौत का कारण बनती है। कई अध्ययन दावा कर चुके हैं कि पहले से सांस या फेफड़ों की बीमारियों से पीड़ितों को कोरोना जल्दी चपेट में लेता है। अगर आप इस दोहरी मार से बचना चाहते हैं, वायु प्रदूषण को किसी भी कीमत पर रोकने का प्रयास करें।