पानी की स्वच्छता पर देशभर में ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है। यहाँ तक की देश की पवित्र नदियों में से एक गंगा की स्वच्छता पर तो न जाने कितने करोड़ो रूपए खर्च किये जा चुके है लेकिन परिणाम हम सबके सामने है। आज तक गंगा स्वच्छ नहीं पाई है। और आमतौर पर देश की सभी नदियों का लगभग यही हाल है। कहीं फैक्ट्रियों का कूड़ा कचरा नदी में डाला जा रहा है तो कही सीवेरज लाइन को नदियों में छोड़ा जा रहा है। उत्तर प्रदेश में मुज़फ्फरनगर के पास से बहती हुई काली नदी तो इतनी ज़हरीली हो चुकी है की उसे लोगो ने कैंसर रिवर तक की संज्ञा दे डाली क्योंकि सैंकड़ो लोग इसके प्रदूषित पानी से जहाँ बीमार हो चुके है तो वहीं कई लोगो ने कैंसर जैसी बीमारी के चलते अपने ज़िन्दगी से हाथ धो डाले। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी नदी के बारे में बताने जा रहे है। जो भारत के उत्तर पूर्व क्षेत्र के मेघालय राज्य में बहती है और इसकी चर्चा न सिर्फ आजकल भारत में हो रही है बल्कि विदेशो में भी इस नदी की तस्वीरें खूब वायरल हो रही हैं। लोगो के सामने जब इस नदी की तस्वीरे सामने आई तो उन्हें अपनी आँखों पर यकीन नहीं होता। उन्हें लगता है की ये तस्वीरें काल्पनिक हैं, क्यूंकि एक नदी भला इतनी साफ़ और स्वच्छ कैसे हो सकती है। हम बात कर रहे है मेघालय की उमंगोट नदी की जिसमें इंसान अगर हाथ भी ये सोच कर शायद न डाले की कही नदी का पानी गन्दा न हो जाए इस नदी का नाम है उमंगोट।
उमनगोट नदी को डौकी भी कहा जाता है। डौकी एक छोटा सा कस्बा है, जो भारत-बांग्लादेश बार्डर पर है। यह शिलान्ग से 95 किलोमीटर दूर है। आपको बता दें की डौकी में भारत और बांग्लादेश के बीच ट्रेड रूट भी है, जहां से कई ट्रक गुजरते हैं। और साथ ही मछुआरों के लिए मछली पकड़ने का भी ये पसंदीदा स्थान है। यह नदी एक गांव मायलननोंग से गुजरती है। इस गांव की खास बात ये है कि साक्षरता में भी यह गांव काफी आगे है। और नदी कि सफाई भी यहां के लोगों के शिक्षित होने का सुबूत पेश करता है। यह नदी एक्वेरियम की तरह साफ दिखती है। मेघालय की इस नदी को स्वच्छ रखने में अपनी अहम् भूमिका निभाने वाले यहाँ के लोगो से हमें सीखना होगा की नदियों को सुरक्षित और साफ़ रखने के लिए किन चीज़ो की जरुरत होती है और किन चीज़ो का त्याग करना होता है, तभी हम गंगा समेत भारत की और नदियों को साफ़ और स्वच्छ रखने में सफलता हासिल कर सकेंगे। *