लगभग पिछले 40 वर्षों से कंप्यूटर माडल कार्बन उत्सर्जन के कारण धरती के तेज़ी से गर्म होने के संकेत दे रहे हैं। लेकिन 2021 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा ग्लोबल वार्मिंग का आकलन करने के लिए जो नए माडल विकसित किए गए हैं, वे अजीब लेकिन निश्चित रुझान दिखा रहे हैं। इन माडल्स के अनुसार, धरती का तापमान पूर्व के अनुमानों की अपेक्षा कहीं अधिक होगा। पहले के माडल्स के अनुसार, उद्योग-पूर्व युग के मुकाबले यदि वायुमंडलीय कार्बन डाइआक्साइड दुगनी हो जाए, तो संतुलन स्थापित होने तक पृथ्वी के तापमान में 2 से 4.5 डिग्री के बीच वृद्धि का अनुमान लगाया था। लेकिन यूएस, यूके, कनाडा और फ्रांस के केंद्रों द्वारा निर्मित अगली पीढ़ी के माडलों ने ‘‘संतुलित परिस्थिति’’ में 5 डिग्री सेल्सियस या अधिक वृद्धि का अनुमान लगाया है। इन माडलों को बनाने वाले यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि वह क्या चीज़ है जो उनके माडल्स द्वारा व्यक्त इस अतिरिक्त वृद्धि की व्याख्या कर सकती है।
अलबत्ता, यदि इन परिणामों पर विश्वास किया जाए, तो हमारे पास ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 से 2 डिग्री सेल्सियस या 2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए पहले की तुलना में काफी कम समय है। वायुमंडलीय कार्बन डाइआक्साइड पहले ही 408 पीपीएम हो चुकी है। इसके आधार पर पहले के माडल्स ने भी आगामी चंद दशकों में 2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि का अनुमान लगाया था। एक विशेषज्ञ के मुताबिक इन नए मॉडलों के परिणामों पर अभी चर्चा की जा रही है। ऐसे में परेशान होने की ज़रूरत नहीं है किंतु यह पक्की बात है कि हमारे सामने जो संभावनाएं हैं वे काफी निराशाजनक हैं।
कई वैज्ञानिकों को इस पर काफी संदेह है। उनके मुताबिक पूर्व में दर्ज किए गए जलवायु परिवर्तन के आंकड़े इस उच्च जलवायु संवेदनशीलता या तापमान वृद्धि की तेज़तर गति का समर्थन नहीं करते। मॉडल बनाने वाले लोग भी इस बात से सहमत हैं और माडलों में सुधार का काम कर रहे हैं। लेकिन माडल में इन सुधारों के साथ भी पृथ्वी तेज़ी से गर्म होती मालूम हो रही है। कुल मिलाकर, माडल के परिणाम निराशाजनक हैं, ग्रह पहले से ही तेज़ी से गर्म हो रहा है। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि यह माडल सही भी हो सकता है। अगर ऐसा रहा तो यह काफी विनाशकारी होगा।