होली ही एक ऐसा त्यौहर है जिस में मस्ती है उमंग है उल्लास है और समूचा जन जीवन में रंग बिरंगा हो उठता है। सारे राग द्वेष होली के रंग गुलाल में मिट जाते हैं। होली को धार्मिक और सांस्कृतिक स्वरुप के अनुरूप मनाई जानी चाहिए।
होलिका दहन: फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन और दूसरे दिन रंगों के साथ उत्सव मनाने की परंपरा में एक आख्यान आता है। राजा हिरण्यकश्यप खुद को सर्वशक्तिमान ईश्वर कहलाने के लिए प्रजा पर अत्याचार करता था। राजा का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप ने उसे बहुतेरा समझाया और उसे मार डालने के लिए उतारू हो गया। प्रहलाद हर बार बच गया। हार कर हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका को बुलाया। होलिका को वरदान प्राप्त था कि अग्नि उसे जला नहीं सकेगी। धधकतीं हुई अग्नि में होलिका प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर बैठ गई। सभी चकित हो उठे कि प्रहलाद बच गया और होलिका जल गई। होलिका के जल जाने का समाचार सुनकर उसका प्रेमी ईसर विहृल हो उठा वह होलिका की राख अपने बदन में लगा पागल हो गया। तब से होलिका दहन कर रंगों की होली मनाई जाने लगी। होली में रंग और गुलाल हो तो मस्ती और उत्साह कुछ अलग होता है। टेसू का केसरिया रंग और रंग-बिरंगे फूलों से बने गुलाल के साथ होली खूब खेली जाती है।
होली रंग और गुलाल के बिना अधूरी है, परंतु कहीं रंग और गुलाल शरीर को बदरंग न कर दें कहीं एलर्जी ना हो जाए, ऐसा खतरा तो रहता ही है। रासायनिक रंग और गुलाल से त्वचा में जलन, खुजली, एलर्जी हो सकती है, आंखों पर पड़ जाए तो रोशनी जाने का खतरा उठ खड़ा होता है, ऐसे में होली मनाने का मूड ही उखड़ जाता है। होली के लिए रंग और गुलाल हर्बल हो तो क्या कहने! बाजार में ऐसे हर्बल रंग और गुलाल आ गए हैं। यदि आप चाहते हैं तो घर पर भी रंग और गुलाल तैयार कर सकते हैं, अपने मनपसंद रंगों और खुशबू के साथ। होली का रंग और गुलाल सब से पहले अपने आराध्य को लगाया जाता है। अयोध्या में श्रीराम लला को स्वर्णमयी कचनार से बने गुलाल लगाकर होली प्रारंभ होगी। होली की मस्ती में रंग गुलाल कहीं बदरंग कर स्वास्थ्य बिगाड़ ना दें। इसके लिए होली प्राकृतिक रंग गुलाल से खेली जाए।
फूलों से रंग: गेंदे के फूल लेकर उनकी पत्तियों को अलग कर दो लीटर पानी में उबालें इसे रात भर पड़े रहने दें। सुबह इसे छान लें इससे पीला रंग, गेंदे की महक लिए तैयार हो जाएगा।
पलाश के लगभग आधा किलो फूल को लेकर उसे 2 लीटर पानी में उबालें और इसे रात भर पानी में रहने दें। सुबह इसे निकाल कर छान लें इससे केसरिया रंग तैयार हो जाएगा। पलाश का रंग त्वचा के लिए लाभप्रद है और यह शरीर में ठंडकता प्रदान करता है। पलाश के फूलों का रंग भीषण गर्मी में लू लगने से भी बचाता है।
पीले रंग के लिए एक दो चम्मच हल्दी पाउडर को 1 लीटर में उबाल दें, घोल को थोड़ा गाढ़ा कर लेने पर रंग पक्का तैयार होता है। अमलतास के फूलों को उबालकर भी पीला रंग तैयार किया जा सकता है। गुलाबी रंग तैयार करने के लिए एक पाव चुकंदर को किस लें और इसे एक लीटर पानी में भिगो कर रात भर रख दे फिर मसल कर छान लें,गहरा गुलाबी रंग तैयार हो जाता है। नीला रंग बनाने के लिए नील के पौधे से निकलने वाली फल्लियों को पीसकर उन्हें पानी में उबाल दें, इससे बेहतरीन नीला रंग तैयार हो जाएगा। अपराजिता के नीले फूलों को पानी में उबालकर नीला रंग तैयार किया जा सकता है।
हर्बल गुलाल: पलाश के फूलों को थोड़े से पानी में रात भिगोकर रख दें और सुबह इन्हें अच्छी तरह से मसल कर उबाल लें। इसके गाढ़े होने के ठंडा कर लें फिर 5 चम्मच मैदा डाल दें और थोड़ा सा गुलाब जल भी डाल दें। इसे प्लेट में फैला कर सुखा लें। सूखने के बाद मिक्सी में बारीक पीस लें इससे खुशबू वाला केसरिया गुलाल तैयार हो जाएगा। पीला गुलाल तैयार करने के लिए दो चम्मच हल्दी लें और उसे आधा लीटर पानी में उबालें, गाढ़ा हो जाने पर इसे उतार कर फिर इसमें चार से पांच चम्मच मैदा लेकर मिला दे। इसे प्लेट में रखकर धूप में सुखा लें और फिर मिक्सी में पीसकर पीला गुलाल तैयार कर सकते हैं।
हरा गुलाल तैयार करने के लिए पालक भाजी आधा किलो लेकर उसमें पानी डालकर मिक्सी में पीस लें। इस घोल में 4 से 5 चम्मच मैदा डाल दें। इसे प्लेट में फैला कर सुखा दें। सूखने के बाद मिक्सी में बारीक पीस लें। हरा गुलाल तैयार हो जाएगा, चाहे तो खस की खुशबू भी इसमें डाल दें। सिंदूर के आधा किलो बीज को लेकर उसे पीस लें फिर इसे आधा लीटर पानी में उबालें ठंडा हो जाने के बाद इसमें 4 से 5 चम्मच मैदा डाल दें।इसे सुखाकर बारीक पीस लें लाल गुलाल तैयार हो जाएगा। इस तरह अनेक फूलों की पंखुड़ियां से गुलाल तैयार किया जा सकता है और उसमें मनपसंद खुशबू भी डाली जा सकती है। ऐसे रंग और गुलाल से होली खेलने का आनंद ही कुछ और है।
स रविन्द्र गिन्नौरे