भारत में जल प्रदूषण का समाधान

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जल प्रदूषण का सबसे अच्छा समाधान है, इसे न होने देना। इसका सबसे प्रमुख समाधान है मिट्टी का संरक्षण। मिट्टी के कटाव की वजह से भी जल प्रदूषित होता है। ऐसे में, यदि मिट्टी का संरक्षण होता है तो हम कुछ हद तक पानी का प्रदूषण रोक सकते हैं। हम ज्यादा से ज्यादा पौधे या पेड़ लगाकर मिट्टी के कटाव को रोंक सकते हैं। खेती के ऐसे तरीके अपना सकते हैं, जो मिट्टी की उर्वरता की चिंता करें और उसे बिगाड़ने के बजाय सुधारें। इसके साथ ही जहरीले कचरे के निपटान के सही तरीकों को अपनाना भी बेहद महत्वपूर्ण है। शुरुआत में, हम ऐसे उत्पादों का इस्तेमाल न करें या कम करें जिनमें उन्हें नुकसान पहुंचाने वाले जैविक यौगिक शामिल हों। जिन मामलों में पेंट्स, साफ-सफाई और दाग मिटाने वाले रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है, वहां पानी का सुरक्षित निपटान बेहद जरूरी है। कार या अन्य मशीनों से होने वाले तेल के रिसाव पर ध्यान देना भी बेहद जरूरी है।

यह कहा जाता है कि कारों या मशीनों से निकलने वाला- तेल का रिसाव भी जल प्रदूषण के प्रमुख कारकों में से एक है। इस वजह से कारों और मशीनों की देखभाल करना बेहद जरूरी है। नियमित रूप से यह देखा जाए कि तेल का रिसाव तो नहीं हो रहा। काम पूरा होने के बाद -खासकर जिन फैक्टरियों और कारखानों में तेल का इस्तेमाल होता है- खराब तेल को साफ करन या सुरक्षित निपटान या बाद में इस्तेमाल के लिए रखने में सावधानी बरतनी जरूरी है। यहां हम नीचे कुछ तरीके बता रहे हैं, जिनके जरिए इस समस्या को दूर किया जा सकता हैः

1- पानी के रास्ते और समुद्री तटों की सफाई।

2- प्लास्टिक जैसे जैविक तौर पर नष्ट न होने वाले पदार्थों का इस्तेमाल न करें।

3- जल प्रदूषण को कम करने के तरीकों पर काम करें

4 – जल प्रदूषण के उपायों के बारे में जागरूकता फैलाना