पृथ्वी पर अधिकांश लोगों को झीलों और नदियों से ताजा पानी मिलता है। लेकिन ये दुनिया के जल भंडार का केवल 0.007 प्रतिशत हिस्सा हैं। धरती पर इंसानी आबादी बढ़ने के साथ-साथ ताजा पानी की मांग भी बढ़ी है। अब, दुनिया में हर तीन में से दो व्यक्ति साल में कम से कम एक महीने पानी की गंभीर कमी का सामना करते हैं। अन्य जल स्रोतों – जैसे समुद्री जल और अपशिष्ट जल – का उपयोग पानी की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जा सकता है। लेकिन मुश्किल ये है कि यह जल स्रोत नमक से भरे होते हैं और इनमें आमतौर पर जहरीली धातुएं होती हैं जो इसे प्रदूषित कर देती हैं।
वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने पानी से लवण और विषाक्त पदार्थों को निकालने के तरीके विकसित किए हैं, इन प्रक्रियाओं को विलवणीकरण कहा जाता है। लेकिन मौजूदा विकल्प महंगे हैं और इनमें ऊर्जा की खपत ज्यादा होती है, क्योंकि इन प्रक्रियाओं के बहुत से चरण होते हैं। पानी साफ करने की वर्तमान तकनीक भी बहुत सारा कचरा पैदा करती है। कुछ विलवणीकरण संयंत्रों में लगने वाले पानी का लगभग आधा पानी नष्ट हो जाता है, जिसमें दूषित पानी से निकाले गए सभी लवण और विषाक्त पदार्थ होते हैं।
इस तकनीक में एक नए प्रकार का फिल्टर
मैं रासायनिक और जैव-आणविक इंजीनियरिंग में डाक्टरेट का छात्र हूं और एक टीम का हिस्सा हूं जिसने हाल ही में एक नयी जल-शोधन पद्धति बनाई है, जो हमें उम्मीद है कि विलवणीकरण को और अधिक बेहतर बना सकती है, पानी में मौजूद कचरे का प्रबंधन करना आसान हो सकता है और जल उपचार संयंत्रों का आकार छोटा हो सकता है। इस तकनीक में एक नए प्रकार का फिल्टर है जो एक ही समय में पानी से नमक निकालते समय जहरीली धातुओं को भी निकाल सकता है। एक आल-इन-वन फिल्टर तैयार करना एक ऐसा एकल फिल्टर बनाने के लिए जो धातुओं और नमक को हटा सकता है।
मुझे और मेरे सहयोगियों को पहले एक ऐसी सामग्री की आवश्यकता थी जो पानी से विभिन्न दूषित पदार्थों – ज्यादातर भारी धातु -को हटा सके। ऐसा करने के लिए, हमने छोटे, शोषक कणों की ओर रुख किया। इन जालीदार कणों को एक-एक दूषित पदार्थ को चुनिंदा रूप से पानी से अलग करने के लिए डिजाइन किया गया है। उदाहरण के लिए, एक प्रकार का शोषक कण केवल पारा पकड़ सकता है। अन्य प्रकार के कण विशेष रूप से केवल तांबा, लोहा या बोरान को पानी से अलग करते हैं। फिर मैंने इन चार अलग-अलग प्रकार के कणों को पतले प्लास्टिक के खोल में लगाया। इससे एक परंपरागत फिल्टर बना जो कि खोल में मेरे द्वारा डाले गए कण के प्रकार के अनुसार दूषित पदार्थों को पकड़ लेंगे।
मैंने अपने एक सहयोगी के साथ मिलकर इस खोल वाले फिल्टर को इलेक्ट्रोडायलिसिस जल शोधक में रखा। इलेक्ट्रोडायलिसिस एक ऐसी विधि है जो पानी से लवण और विषाक्त पदार्थों को एक झिल्ली के पार और एक अलग अपशिष्ट धारा में खींचने के लिए बिजली का उपयोग करती है। मौजूदा विलवणीकरण की प्रक्रियाओं में इस अपशिष्ट – जिसे अक्सर खारा या नमकीन पानी कहा जाता है – पदार्थ को पानी से अलग करना विषाक्त और महंगा हो सकता है। मेरी टीम की संशोधित प्रक्रिया में, जिसे आयन-कैप्चर इलेक्रोडायलिसिस कहा जाता है, हमें आशा थी कि छोटे धातु-अवशोषित कणों के साथ बांधा गया खोल जहरीली धातुओं को पकड़ लेगा और इन्हें खारे पानी में जाने नहीं देगा।
परीक्षण में पारे के तमाम कणों को पानी से अलग कर दिया
यह एक ही समय में ऊर्जा बचाने वाले तरीके से तीन लाभ प्राप्त करेगा- नमक और धातु को पानी से हटा दिया जाएगाय जहरीली धातुओं को एक छोटी, आसानी से निपटाई जा सकने वाली झिल्ली में कैद कर लिया जाएगा – या संभावित रूप से पुनरू उपयोग भी किया जा सकता है और नमकीन अपशिष्ट धारा जहरीले पदार्थों से मुक्त होगी। आयन-कैप्चर इलेक्ट्रोडायलिसिस कितना प्रभावी है? हमारी टीम ने इन झिल्लियों को सफलतापूर्वक बना लिया, तो हमें उनका परीक्षण करने की आवश्यकता थी। पहला परीक्षण मैंने तीन स्रोतों-भूजल, खारा पानी और औद्योगिक अपशिष्ट जल- से लिए गए पानी, जिसमें पारा और नमक दोनों शामिल थे, को शुद्ध करने के लिए पारा-पकड़ने वाले अवशोषक कणों के साथ झिल्ली फिल्टर का इस्तेमाल करके किया।
हमारी टीम यह देखकर उत्साह से भर गई कि झिल्लियों ने प्रत्येक परीक्षण में पारे के तमाम कणों को पानी से अलग कर दिया। इसके अतिरिक्त, झिल्ली नमक से छुटकारा पाने में भी बहुत अच्छी थी – 97% से अधिक को गंदे पानी से हटा दिया गया था। हमारी नई इलेक्ट्रोडायलिसिस मशीन से केवल एक बार गुजरने के बाद, पानी पूरी तरह से पीने योग्य था। महत्वपूर्ण रूप से, आगे के प्रयोगों से पता चला कि कोई भी पारा फिल्टर से तब तक नहीं गुजर सकता जब तक कि फिल्टर के लगभग सभी शोषक कणों का उपयोग नहीं किया जाता है। मुझे और मेरे सहयोगियों को अब यह देखने की जरूरत थी कि क्या हमारी आयन-कैप्चर इलेक्ट्रोडायलिसिस प्रक्रिया अन्य सामान्य हानिकारक धातुओं पर काम करेगी।
मैंने तीन झिल्ली फिल्टर का परीक्षण किया जिसमें तांबा, लोहा या बोरान के लिए अवशोषक शामिल थे। हर फिल्टर सफल रहा। प्रत्येक फिल्टर ने पानी में मौजूद सभी लक्षित प्रदूषकों को पकड़ लिया, साथ ही साथ पानी से 96ः से अधिक लवण को हटाकर, पानी को इतना शुद्ध कर दिया कि उसे प्रयोग किया जा सके। शेष चुनौतियां हमारे परिणाम बताते हैं कि हमारी नई जल शोधन पद्धति पानी से नमक को हटाते हुए कई आम दूषित पदार्थों को चुनिंदा रूप से पकड़ सकती है। लेकिन अभी भी अन्य तकनीकी चुनौतियों का पता लगाना बाकी है। सबसे पहली बात तो यह थी कि चुनींदा रूप से लक्षित प्रदूषक का पता लगाने वाले जालीदार शोषक कण जो मैंने और मेरे सहयोगियों ने खोल में डाले थे, बड़े पैमाने पर उत्पादित फिल्टर में डालने के लिए बहुत महंगे हैं।
इसके बजाय सस्ते – लेकिन निम्न-गुणवत्ता वाले – अवशोषक को फिल्टर में रखना संभव है, लेकिन इससे फिल्टर की जल शोधन क्षमता खराब हो सकती है। दूसरा, मेरे जैसे इंजीनियरों को अभी भी प्रयोगशाला में उपयोग किए जाने वाले पैमानों से बड़े पैमाने पर आयन-कैप्चर इलेक्ट्रोडायलिसिस तकनीक का परीक्षण करने की आवश्यकता है। किसी भी नयी तकनीक को प्रयोगशाला से उद्योग में ले जाने के दौरान अक्सर कई मुद्दे सामने आ सकते हैं। अंत में, जल उपचार संयंत्र इंजीनियरों को झिल्ली अवशोषक अधिकतम होने से ठीक पहले प्रक्रिया को रोकने के तरीके तैयार करने की आवश्यकता होगी। अन्यथा, जहरीले प्रदूषक फिल्टर के माध्यम से नमकीन अपशिष्ट जल में रिसना शुरू हो जाएंगे।
इंजीनियर तब फिल्टर को बदलने या फिल्टर से धातुओं को हटाने और उन्हें अलग कचरे के रूप में इकट्ठा करने के बाद प्रक्रिया को फिर से शुरू कर सकते थे। हमें उम्मीद है कि हमारे काम से ऐसे नए तरीके सामने आएंगे जो ताजा पानी की तुलना में अधिक प्रचूर मात्रा में – लेकिन अधिक दूषित – उपलब्ध जल स्रोतों को कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से शुद्ध कर सकते हैं। इस काम का वास्तव में बहुत महत्व है। आखिरकार, पानी की कमी के प्रभाव सामाजिक और विश्वव्यापी दोनों स्तरों पर बहुत बड़े हैं।
एडम उलियाना
शोध छात्र, बर्कले यूनीवर्सिटी, कैलीफोर्निया