आसमानी बिजली में सूरज से 5 गुना ज्यादा तापमान

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दुनिया में हर साल आसमानी बिजली गिरने से अनेकों लोग मौत के मुॅंह में चले जाते हैं। भारतवर्ष में जून से लेकर जुलाई के दौरान आसमानी बिजली की चपेट में आने से कम से 150 से ज्यादा लोगों की मौत की रिपोर्ट दर्ज की गई हैं। भारी बारिश के दौरान आसमानी बिजली आफत बनकर टूटती है, जिसमें फसलें और पेड़-पौधे नष्ट हो जाते हैं। वहीं, कई इंसानों की जान तक चली जाती है। आइए- समझते हैं कि क्या है आसमानी बिजली, यह कितनी घातक है।

हर दिन 30 लाख बिजली गिरती है
थ्सवतपकं ठमंबी च्ंजतवस ब्ीपमेि ।ेेवबपंजपवद की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक आसमानी बिजली में औसतन 10,000 वोल्ट जितना करंट होता है। वहीं, एक बिजली का तापमान 54 हजार डिग्री फारेनहाइट तक पहुंच सकता है। यानी यह हमारे सूर्य के सतह के तापमान से 5 गुना ज्यादा गर्म हो सकता है। आमतौर पर आसमानी बिजली की रफ्तार गोली से 30 हजार गुना तेज होती है। ब्रिटेन की वेबसाइट मेट आफिस के अनुसार, दुनिया में हर साल 140 करोड़ बिजली आसमान से गिरती है। यानी 1 दिन में औसतन 30 लाख बिजली धरती पर गिरती है। बिजली गिरने की रफ्तार इतनी तेज होती है कि यह चंद्रमा पर 55 मिनट में पहुंच सकती है। यानी दिल्ली से देहरादून तक जाने में इसे महज 1.5 सेकेंड ही लगेंगे।

हेलीकाप्टर की वजह से बिजली
लंदन स्थित मौसम विभाग की एक स्टडी के अनुसार, दुनियाभर में हेलीकाप्टरों की वजह से भी काफी बिजली गिरती है। दरअसल, आसमान में उड़ते वक्त हेलीकाप्टर निगेटिव चार्जेज को सोखते हैं। ऐसे में अगर ये हेलीकाप्टर ऐसे इलाकों से गुजरते हैं जहां बादल पाजिटिव रूप से चार्ज हों तो वहां पर आसमानी बिजली गिरने की आशंका बढ़ जाती है।

बिजली साइलेंट किलर
दिल्ली यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ. सना रहमान के अनुसार, आकाशीय बिजली को अक्सर साइलेंट किलर भी कहा जाता है। क्योंकि इससे हर साल होने वाली मौतें लू, बाढ़, भूस्खलन और चक्रवात से भी ज्यादा हैं। इसके बाद भी इस बारे में ज्यादा चर्चा नहीं होती और न ही यह अखबारों या न्यूज चैनलों की सुर्खियां बन पाती है। चूंकि, बिजली गिरने का समय और जगह अलग-अलग होती है, ऐसे में शायद इसे प्राकृतिक आपदा भी नहीं माना जाता है।

क्या होती है आकाशीय बिजली
डाॅ. सना रहमान के अनुसार, हमारी धरती के वायुमंडल में जब विद्युत आवेश डिस्चार्ज होता है, तो उससे पैदा हुई गड़गड़ाहट यानी थंडरिंग को गाज या आसमानी बिजली कहते हैं। दुनिया में हर साल 140 करोड़ आसमानी बिजली पैदा होती है। इसे सबसे पहले 1872 में वैज्ञानिक बेंजामिन फ्रेंकलिन ने पहचाना था, जिन्होंने पहली बार बिजली चमकने की सटीक वजह बताई थी। उन्होंने बताया कि आकाश में बादल छाने के दौरान उसमें मौजूद पानी की छोटी-छोटी बूंदों में मौजूद कण हवा की रगड़ से चार्ज हो जाते हैं। कुछ बादलों पर पाजिटिव तो कुछ पर निगेटिव चार्ज आ जाता है। जब ये दोनों तरह के चार्ज वाले बादल मिलते हैं तो उनके मिलने से लाखों वोल्ट की बिजली पैदा होती है। एक बिजली में 10 हजार वोल्ट जितना करंट पैदा होता है।

प्लेन पर नहीं होता असर
आसमानी बिजली से एक बार 1.60 लाख ब्रेड सेंकी जा सकती है। अगर ग्लोबल वार्मिंग पर लगाम समय रहते नहीं लगाई गई तो साल 2100 में आज के मुकाबले 50 फीसदी ज्यादा बिजली गिरने की आशंका रह सकती है। आसमान में उड़ने वाले प्लेन पर भी बिजली गिरती है, मगर इन पर इसका असर नहीं होता है। दरअसल, 1963 के बाद हवाई जहाजों पर बिजली गिरने से कोई हादसा नहीं हुआ है, क्योंकि अब प्लेन को खास तरीके से डिजाइन किया जाता है, जिससे बिजली इसे नहीं छूती है। ज्यादातर प्लेन एल्युमिनियम के बने होते हैं जो बिजली को प्लेन के बाहरी हिस्से पर चारों ओर फैला देते हैं और अंदर नहीं जाने देते हैं। प्लेन की ईंधन टंकी को भी बिजली के खतरनाक प्रवाह से गुजार दिया जाता है, ताकि किसी तरह की विस्फोट की आशंका न रहे।

दोपहर सबसे ज्यादा गिरती बिजली
छत्तीसगढ़ शासन के लाइटनिंग मैनेजमेंट मैगजीन के अनुसार, बिजली गिरने की सबसे ज्यादा आशंका दोपहर में होती है। यह इंसान के सिर, गले और कंधे पर सबसे ज्यादा असर करती है। इसमें एक्सरे होती है। आसमान से गिरने वाली बिजली करीब 5 किलोमीटर तक लंबी हो सकती है। बिजली की रफ्तार ध्वनि से कई गुना तेज होती है। यही वजह है कि हमें गिरती हुई बिजली पहले दिखाई देती है और उसकी गड़गड़ाहट बाद में सुनाई देती है। अगर बारिश न हो रही हो और बादल भी न हो, तो भी आप बिजली से सुरक्षित नहीं है, क्योंकि बिजली तूफान के सेंटर से 3 मील दूर तक गिर सकती है।

100 मील दूर से दिखती बिजली
आसमानी बिजली 100 मील दूर से भी देखी जा सकती है। भारत में आकाशीय बिजली की घटनाओं की शुरुआत प्री-मानसून के दौरान होती है। दक्षिण पश्चिम मानसून के आने के साथ ही तेजी से बिजली कड़कती है और गरज के साथ भारी बारिश होती है। बिजली गिरने से सबसे ज्यादा मौतें जून और जुलाई के दौरान होती हैं।

बिजली कड़कने पर सावधानी
ब्मदजमत वित कपेमंेम बवदजतवस ंदक चतमअमदजपवद के अनुसार, बिजली कड़कते समय सेल फोन और कार्डेड (तार वाले) फोन को तूफान और बिजली कड़कते समय इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि, ये किसी भी चार्जर या जमीन से कनेक्ट न होने चाहिए। तार वाले लैंडलाइन फोन और चार्जर पर लगे स्मार्टफोंन के इस्तेमाल से बचना चाहिए। सभी तरह के इलेक्ट्रिक उपकरण टीवी, रेफ्रिजरेटर, कंप्यूटर-लैपटाप की तरफ भी आसमानी बिजली अट्रैक्ट होती है। ऐसे में खराब मौसम के दौरान ये गैजेट्स बंद रखें।
स भाव्या सिंह