आज से डेढ़ सौ बरस पहले सूकामिश कबीले के सरदार सिएटल ने जो भविष्यवाणी की थी, वह सच प्रतीत होती नजर आ रही है। अमरीका में बसने वालों ने प्रकृति से बेपनाह मोहब्बत करने वाले आदिवासियों की क्रूरतापूर्ण हत्या की। इन गोरे लुटेरों के खौफनाक नरसंहार की गूंज कुछ किताबों में मौजूद है। फारेस्ट कार्टर की किताब ‘एजुकेशन आफ द लिटिल ट्री’, विलियम आस्बोर्न की किताब ‘द वाइल्ड फ्रंटियर’ और एलेन एक्सेलराड की किताब ’क्रोनिक्लस’ को पढ़ेंगे तो आप को उन आदिवासियों की मार्मिक चीखें सुनाई देंगी। कबीले के सरदार की भविष्यवाणी जो आज के दौर में इससे जरूरी कोई दस्तावेज नहीं हो सकती। हो सके तो इसे उतार लें अपनी डायरी में। पोस्टर बनाकर दीवार में टांग लें। घर के उस कोने में रखें जहां हर आने जाने वालों को इसकी इबारत दिखती रहे। हो सके तो इसे कंठस्थ कर लें अगर आप बचे रह गए तो…!
यह भविष्यवाणी ठीक 170 वर्ष पहले की है, जब गोरों का अत्याचार चरम सीमा पर था। सूकामिश कबीले का वीर सरदार सिएटल था। एक निडर आदिवासी योद्धा, जिसने तब अपने आसपास के छह कबीलों का नेतृत्व किया था। दिसंबर 1854 में सरदार ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन पीयर्स के नाम एक पत्र लिखा था। याने वाशिंगटन के सरदार को…!
‘‘वाशिंगटन के सरदार ने संदेश भेजा है कि वह हमारी जमीन खरीदना चाहता है! आप आसमान को बेच या खरीद कैसे सकते हैं? धरती के ताप को कैसे खरीद सकते हैं? हमारे लिए यह विचार ही अजीब है। यह अलग बात है कि हवा की ताजगी या पानी की चमक पर हमारा कोई अधिकार नहीं है, फिर इन्हें आप कैसे खरीद सकते हैं! इस धरती का हर हिस्सा मेरे कबीले के लोगों के लिए पवित्र है। चीड़ वृक्षों का एक- एक सुईपत्ता, एक- एक रेतीला तट, जंगल की एक-एक अंधेरी रात, एक एक खुला मैदान और एक एक गुनगुनाता झींगुर, पतंगा मेरे लोगों की स्मृति और अनुभव में पवित्रता से दर्ज है। हम पेड़ के भीतर बहने वाले जीवन जल को उस रक्त की तरह जानते हैं, जो हमारी नसों में बहता है। हम इस धरती के हिस्से हैं और धरती हमारा हिस्सा है। खुशबूदार फूल हमारी बहनें हैं। भालू, हिरण, बाज ये सारे सहोदर हैं हमारे। चट्टानी ऊंचाइयां, चारागाह की घास, खच्चर के शरीर की गर्मी और मनुष्य यह सब एक ही परिवार के सदस्य हैं। नदियों और धाराओं में बहने वाला पानी केवल पानी नहीं है, वह हमारे पुरखों का रक्त है। पानी की छलछल मेरे पिता के पिता की आवाज है। महानद मेरे भाई हैं जो हमारी प्यास बुझाते हैं, वे हमारी डोंगियों को लेकर जाते हैं और हमारे बच्चों को भोजन देते हैं। तुम को नदियों से वैसी मोहब्बत करनी होगी जैसी तुम अपने भाई से करते हो।
क्या तुम अपने बच्चों को सिखाओगे, जो हमने अपने बच्चों को सिखाया है! कि धरती हमारी मां है, कि जो धरती पर गुजरता है वह धरती के बच्चों पर भी गुजरता है।
हमें मालूम है धरती मनुष्य की जागीर नहीं है, आदमी धरती की जागीर है। सारी चीजें रक्त की तरह एक दूसरे से जुड़ी हुई है, जो हम सबको एक बनाता है। जीवन का ताना-बाना आदमी ने नहीं बुना वह फकत एक रेशा है उसका। उस ताने-बाने के साथ आदमी जैसा सुलूक करता है वही उसके साथ भी होता है। हम धरती को उस तरह प्यार करते हैं जैसे एक नवजात अपने मां के दिल की धड़कन से करता है।
हम जानते हैं हमारा जीवन गोरे आदमी की समझ में नहीं आता। उसके लिए धरती का हर टुकड़ा, बगल वाले टुकड़े जैसा होता है, क्योंकि वह रातों को आने वाला ऐसा अजनबी है जो धरती से अपने काम की चीजें जब चाहे तब चुरा ले जाता है। वह अपने पुरखों की कब्रें छोड़ जाता है और उसके बच्चों का जन्माधिकार भी बिसरा दिया जाता है।
गोरे आदमी के शहरों में कोई शांत जगह नहीं, कोई जगह नहीं जहां वसंत का पतझड़ या कीड़े के परों की फड़फड़ाहट सुनी जा सके। लेकिन चूंकि मैं जंगली हूं, इस लिए समझा नहीं सकता। आपका शोर मेरे कानों के लिए एक अपमान ही है बस।
वैसे जीवन में बचता ही क्या है अगर आप चिड़ियों की चहचहाहट ना सुन सके या रात में तालाब के इर्द-गिर्द मेंढकों के टर्राने को आप ना समझ पाए।
गोरे लोग भी एक दिन इस संसार से चले जाएंगे शायद बाकी कबीलों के पहले ही। तुम अपने बिस्तर को गंदा किए जाओ और एक रात तुम्हारे अपने कचरे से तुम्हारा दम घुट जाएगा। जब सारी भैंसे काटी जा चुकी होंगी, सारे घोड़े पालतू बना लिए गए होंगे, तब कहां होंगे आदमियों की गंध से अटे हुए जंगल के गुप्त कोने और कहां वे पहाड़ी दृश्य! जा चुके होंगे, बाज कहां होगा? जा चुका होगा! जीवन का अंत हो चुका होगा, तब शुरू होगा बचे रहने का युद्ध।
रविन्द्र गिन्नौरे
तितली सुन्दरी ‘आरेंज आकलीफ’
सबसे सुंदर रंग-बिरंगी तितली कौन-सी है! जिसका चयन विश्व सुंदरी की तर्ज पर हुआ। सुन्दर तितली प्रतियोगिता में ‘आरेंज आकलीफ’ ने बाजी मारी और उसका नाम भारत की राष्ट्रीय तितली में दर्ज हो गया।
तितली सुंदरी आरेंज आकलीफ
आरेंज आकलीफ को राष्ट्रीय तितली यूं ही नहीं बनाया गया है। एक लंबा इसने सफर तय किया उसके बाद ही उसका नाम घोषित किया गया। 2020 के दौरान सितंबर-अक्टूबर में भारत की 1500 प्रकार की तितलियों में से 7 प्रजातियों को राष्ट्रीय तितली की रेस में शामिल किया गया। अब फैसला करना था लोगों को कि इन तितलियों में सबसे सुंदर कौन है? इसके लिए के लोगों ने आनलाइन वोटिंग की और सबसे ज्यादा वोट ‘आरेंज आकलीफ’ को ही मिला। सात अक्टूबर वन्यजीव सप्ताह समापन पर यह घोषणा की गई। इस तरह वह भारत की राष्ट्रीय तितली बन गई।
तितली सुंदरी आरेंज आकलीफ का सौंदर्य तब दिखता है जब यह अपने पंख पसार बैठती है जिसके पंख खुलते ही तीन रंग चमक उठते हैं। पंख के आगे भाग पर काला फिर नारंगी पट्टा और उसके बाद गहरा नीला रंग दिख पड़ता है। काले रंग के आधार पर दो सफ़ेद बिंदु इसके सौंदर्य में चार चांद लगा देते हैं। पंख के सिमटते ही यह एक सूखे पत्ते जैसी नज़र आती है। शिकारियों से बचने के लिए प्रकृति ने इसे ऐसा रूप दिया है।
छत्तीसगढ़, कवर्धा के जंगलों में इसका बसेरा है इस तितली का। भोरमदेव अभ्यारण के लगभग सात एकड़ इलाके में यह बहुतायत पाई जाती है। इसी के साथ देश के वेस्टर्न घाट और उत्तर-पूर्व के जंगलों में यह पाई जाती है जहां इसे डेडलीफ के नाम से जाना जाता है।
प्रतियोगिता में शामिल तितलियां
कृष्णा पीकाक बड़े पंखों वाली जिसके पंख 130 एम एम तक होते हैं। पंख के अग्र भाग में काला रंग जिसमें पीले रंग की लंबी धारी और नीचे की ओर नीले लाल बैंड होते हैं। यह उत्तर पूर्वी जंगलों सहित हिमालय में पाई जाती है।
कामन जेजबेल इसके पंख 66.83 एमएम आकार के होते हैं पंख की ऊपरी सतह सफेद और निचली सतह पीली होती है जिस पर मोटी काली धारियां और किनारे किनारों पर नारंगी छोटे-छोटे धब्बे इसे आकर्षक बनाते हैं।
फाइफ बार स्वार्ड टेल 70 से 90 एमएम के पंखों वाली तितली जिसके पीछे के पंखों पर एक लंबी सी तलवार जैसी पूंछ इसकी विशेषता है। पंखों के काले सफेद पट्टे पर हरे पीले रंग का सम्मिश्रण इसे सुंदर बनाता है।
कामन नवाब तितली के ऊपरी पंख काले और नीचे के चाकलेटी रंग के पंखों के बीच एक हल्की हरी पीली सी टोपी जैसी रचना नजर आती है इसलिए इसे नवाब कहा गया है। यह पेड़ों के ऊपरी हिस्सों पर पाई जाती है इसलिए यह बहुत कम दिखाई पड़ती है लेकिन बहुत तेज उड़ती है। यलो गोरगन तितली के अनूठे पंख कोण सा बनाते हैं, पंखों की ऊपरी सतह पर गहरा पीला रंग होता है। यह मध्यम आकार वाली सुंदर तितली है जो पूर्वी हिमालय और उत्तर-पूर्व के जंगलों में पाई जाती है। नार्दन जंगल क्वीन तितली का रंग चाकलेट ब्राउन होता है और उस पर नीली धारियां इसे और सुंदरता प्रदान करती है। पंखों पर चाकलेटी गोल घेरे इसकी विशेष पहचान बताते हैं यह फ्लोरोसेंट कलर में भी दिखाई देती है। अरुणाचल प्रदेश में यह बहुतायत पाई जाती है।
पर्यावरण संकेतक है तितली
राष्ट्रीय तितली के अभियान में बहुत सारी संस्थाएं सामने आईं। ‘राष्ट्रीय तितली अभियान संघ’ ने यह अभियान प्रारंभ किया। तितलियां प्रकृति संरक्षण और महत्वपूर्ण जैविक संकेतकों की दूत हैं, जो हमारे स्वास्थ्य पर्यावरण को दर्शाती है। एक राष्ट्रीय तितली होना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लोगों में प्रकृति के बारे में जागरूकता फैलाने में मदद करेगा। तितलियों की प्रजातियां पर्यावरण में बदलाव जैसे प्रदूषण के बारे में चेतावनी कैसे देती है यह हमें समझना चाहिए। मुंबई के जूलाजी के प्रोफेसर अमोल पटवर्धन कहते हैं, एक बार चुन लेने के बाद यह विशेषताएं देश के लिए सांस्कृतिक पारिस्थितिक और संरक्षण महत्व को परिभाषित करने में मदद करेगी और यहां तक कि बाद के वर्षों में पर्यटन को भी आकर्षित करेगी। इसी के साथ छत्तीसगढ़ के भोरमदेव अभ्यारण को नए सिरे से संरक्षित किया जा रहा है जहां राष्ट्रीय तितली आरेंज आकलीफ बहुतायत पाई जाती है।
विकास ठाकुर