एक मछली समूचे तालाब को गंदा कर देती है। लेकिन एक बड़ी झील ही गंदी हो जाए तो उसके प्रदूषण का कहर कितना खतरनाक होगा। हैदराबाद के समीप मेडक की एक खूबसूरत काजीपल्ली झील कुछ ऐसी ही हो गई है। झील के पानी में सुपरबग का साम्राज्य व्याप्त हो गया है। वैज्ञानिकों ने सुपरबग को मेडिसिन जगत की सबसे बड़ी मुसीबत करार दिया है। काजीपल्ली झील एक विकराल समस्या को समेटे हुए है, आखिर इसका हल क्या होगा?
काजीपल्ली झील में सुपरबग
काजीपल्ली झील में सुपरबग कैसे पनपे, इसके लिए जिम्मेदार लोगों ने अपना पल्ला झाड़ लिया है। झील के पानी से जो हाहाकार मचेगा, उससे बचाव की तैयार भी नहीं होना आश्चर्य की बात है। काजीपल्ली झील मेडक में स्थित है। मेडक का नाम दवा उद्योग में बड़ा मशहूर है। 25 लाख की आबादी वाला मेडक जिला भारतीय एंटीबायोटिक उद्योग का प्रमुख केन्द्र है। मेडक दुनिया भर के तमाम देशों को सस्ती दवाएं मुहैया कराने में सबसे आगे है।
मेडक में 300 से अधिक दवा कम्पनियाॅं कार्यरत हैं। दवा कम्पनियां हर साल 14 अरब डाॅलर से अधिक की दवाएं निर्यात करती हैं। दवा कम्पनियों का व्यापार तो अच्छा चल रहा है, लेकिन दवा उद्योगों का कचरा व विषाक्त जल नदियों व झीलों में बहाया जा रहा है। नदियों व झीलों एंटीबायोटिक से भर चुकी हैं, जिससे जल स्रोतों की हालत इतनी खराब है कि पानी में एंटीबायोटिक दवाओं से ज्यादा शक्तिशाली बैक्टीरिया पनप रहे हैं।
पूरी दुनिया को तबाह कर देगा
मेडक की एक झील में पनपते सुपरबग से पूरी दुनिया में हाहाकार मच सकता है। मेडक इंडस्ट्रियल जोन के पतांचेरू में काम करने वाले डाॅक्टर किशन राव ने इसकी भयावहता बताते हुए कहते हैं कि, ‘‘प्रतिरोधी क्षमता हासिल कर चुके बैक्टीरिया यहाॅं ब्रीड कर रहे हैं और वे पूरी दुनिया को प्रभावित करेंगे।’’ जबकि दवा उद्योग चला रही दिग्गज कम्पनियां अपना पल्ला झाड़ते हुए कह रही हैं कि वे दूषित कचरा पानी में नहीं बहा रही हैं। कम्पनियां दावे के साथ कह रही हैं कि वे पर्यावरण नियमों के तहत अपना काम कर रही हैं।
उद्योगों व सरकार की लापरवाही
पतांचेर का केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड काजीपल्ली झील को गंभीर रूप से दूषित करार दे चुका है। वहीं तेलांगाना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हालात ठीक होने का दावा कर रहा है। राज्य सरकार और केन्द्र के बीच काफी मतभेद हैं। इसी दौरान झील के कुछ बैक्टीरिया इतने ताकतवर बन गए हैं, जिन्हें सुपरबग भी कहा जा सकता है। कालीपल्ली झील को कैसे साफ किया जाए, इस पर कोई ठोस योजना नहीं बन सकी है।
काजीपल्ली झील के प्रदूषण का मामला अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक जा पहुॅंचा है। संयुक्त राष्ट्र और सदस्य देशों की अपील के बाद मेडक की 13 दवा कम्पनियों ने सुपरबग के सफाए का ऐलान किया है, लेकिन इस ओर विशेष पहल अब तक नहीं की गई है। झील में समस्या इतनी विकराल हो चुकी है कि यहाॅं पूरी गंभीरता और तेजी से कदम उठाए जाने चाहिए। डाॅ. किशन राॅव के मुताबिक स्वीडन की गोथेनबर्ग यूनीवर्सिटी के शोध में पता चला है कि ‘‘काजीपल्ली झील और उसके आसपास फाॅर्मास्यूटिकल कचरे की मात्रा बहुत ज्यादा है। झील में एंटीबायोटिक प्रतिरोधी जीन भी मिले हैं।
सुपरबग मेडिसिन जगत से निकला हुआ जन जीवन के लिए अत्यंत खतरनाक साबित हुआ है। सुपरबग पर कोई भी एंटीबायोटिक दवाएं काम नहीं करती हैं। अमेरिका में ही एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया के चलते गंभीर इंफेक्शन के 20 लाख मामले सामने आ चुके हैं। हर साल 23000 लोग मौत के मुॅंह में समा रहे हैं।
दुनिया में एक काजीपल्ली झील के सुपरबग तबाही मचा सकते हैं, जिसको साफ करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने पहल की है। इसलिए सबसे पहले केन्द्र और राज्य सरकार आपसी मतभेद से हटकर झील को प्रदूषण रहित बनाने के लिए जरूरी कदम उठाए। |