विगत दो वर्षों से गौण खनिज के 5 हेक्टेयर से कम क्षेत्रफल में उत्खनन को पर्यावरण स्वीकृति की परिधि में लाने के फलस्वरूप लघु व्यवसाईयों तथा ग्राम पंचायत के स्तर के अधिकारियों को भी पर्यावरण स्वीकृति की जटिल प्रक्रिया से सामना हो रहा है। पर्यावरण नियमों के जाने माने विशेषज्ञ तथा केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय के राज्य स्तरीय विशेषज्ञ समिति के भूतपूर्व अध्यक्ष डाॅ. हरेन्द्र कुमार ने इस पूरी प्रक्रिया को सरल हिन्दी भाषा में समझाया है। प्रस्तुत पुस्तक मूलरूप से गौण खनिज की पर्यावरण स्वीकृति में आने वाली उन कठिनाईयों के समाधान के लिए एक पृष्ठभूमि तैयार करती है, तदुपरांत माननीय उच्चतम न्यायालय के उस ऐतिहासिक आदेश की व्याख्या करती है, जिसके परिप्रेक्ष्य में अब तक लघु माने जाने वाले 5 हेक्टेयर से कम क्षेत्रफल की खनन लीज को भी पर्यावरण के लिए महत्वपूण्र माना गया है। गौण खनिज, विशेष रूप से नदी तल रेत का उत्खनन, एक जटिल पर्यावरण कारक माना गया है तथा इसका खनन रूपरेखा (माइन प्लान) बनाने में अनेक तकनीकी प्रयोगात्मक जानकारियों को एकत्र करना पड़ता है, जो उस स्थल के जल विज्ञान से संबंध रखती हैं। सामूहिक उत्खनन या खनन समूह की अवधारणा के फलस्वरूप ईआईए अधिसूचना 2006 की बी-2 तथा बी-1 श्रेणियों की विशेष रूप से व्याख्या की गई है। सरल प्रश्नोत्तरी के रूप में अनेक गूढ़ प्रश्नों को समझाया गया है। पर्यावरण नियंत्रण के वर्तमान परिवेश को भी डायरी के रूप में प्रस्तुत किया गया है। समापन करते हुए, ‘‘धरती हमारी है और हम धरती के हैं’’ की अवधारणा पर आधारित अंतिम विकल्प के रूप में गांधीवादी आधारभूत सूत्र उद्धत किए गए हैं। जिनके लिए है उपयोगी (1) रेत, गिट्टी, मुरूम इत्यादि खनन लीज धारकों तथा इनके वितरण/विपणन/परिवहन करने वाले बड़े, मध्यम, लघु व्यवसायियों के लिए। (2) शासकीय, अर्द्धशासकीय अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए जो खनन लीज से संबंधित कोई भी कार्य कर रहे हों। (3) समस्त कंसल्टेंट या रजिस्टर्ड क्वरी प्रैक्टिशनर जो माईन प्लान बनाने का कार्य कर रहे हों। (4) ऐसे समस्त बीई/डिप्लोमा माइनिंग या एमएससी भूगर्भ शास्त्र डिग्रीधारक जो खनन संबंधित किसी भी कार्य करने की रूचि रखते हों। (5) उद्योग विभाग से संबंधित समस्त अधिकारियों, कर्मचारियों के लिए। (6) बैंकिंग सेक्टर से जुड़े समस्त अधिकारियों के लिए जो खनन लीज या अन्य प्रोजेक्ट आधारित लोन स्वीकृत करने की प्रक्रिया से जुड़े हों। (7) समस्त पर्यावरण में रूचि, अध्ययन, अनुसंधान तथा पर्यावरण कानून से संबंध रखने वालों के लिए यह उपयोगी है।
पुस्तक का नामः रेत गिट्टी मुरूम मिट्टी - गौण खनिज की पर्यावरण स्वीकृति (लेखक: हरेन्द्र कुमार) (मूल्य: 200/- रूपए) प्रकाशक: जेम सल्यूशन, प्लाट नं. 43-ए, क्रास स्ट्रीट 2, प्रगति नगर, रिसाली, भिलाई (छ.ग.)
About the Author Dr. Harendra Kumar · B. SC. Engg., M.Tech (II T Kharagpur), Ph.D. (Engg.) FIE, M.I.I. Ch.E., MCSI · Served in GEC-NIT Raipur for 38 years as Lecturer/Reader/Professor, Dean, I/c Principal · Chairman, SEAC Chhattisgarh (2008-2011), Member/ Vice Chairman SEAC Chhattisgarh (2011-2014), Ministry of Environment and Forests (MOEF), Govt. of India · Has produced Two Ph. D. from NIT Raipur under his guidance · Has guided more than 10 M.Tech/ME projects in the core areas and Environment · Published more than 25 research papers in reputed national and international journals · Presently: Advisor, RIT Group of Institutions, Raipur
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